सप्लाई चेन को मज़बूत रखने में सफल रही है मोदी सरकार
पूरे विश्व में फैली कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत में इस महामारी को रोकने के उद्देश्य से 40 दिनों का लॉकडाउन लागू किया गया है। जिसके चलते देश भर की अधिकतर उत्पादन इकाईयाँ बंद कर दी गईं एवं आर्थिक गतिविधियों सहित विभिन्न अन्य सामान्य प्रकार की गतिविधियों को भी रोक दिया गया। इसके कारण सब्ज़ी एवं फलों के उत्पादन एवं सप्लाई चेन पर सीधा असर पड़ा। इस सबके चलते पूरे देश के विभिन्न भागों में जनता को ज़रूरी राशन सामग्री एवं दवाईयाँ पहुँचाने की महती ज़िम्मेदारी सरकार के कंधों पर आ गई। केंद्र सरकार ने देश में सप्लाई चेन को दुरुस्त रखने में सफलता पाई है जिसके कारण देश के किसी भी भाग में राशन सामग्री एवं दवाईयों की लेशमात्र भी कमी देखने में नहीं आई है एवं इन वस्तुओं की क़ीमतें भी नियंत्रण में बनी रही हैं।
जब लॉक डाउन की घोषणा की गई थी तब शुरू शुरू में ज़रूर कुछ समय तक सप्लाई चैन पर दबाव आया था। क्योंकि विनिर्माण इकाईयों के श्रमिक शहरों से अपने गावों की ओर पलायन कर गए थे। परंतु, शीघ्र ही इस समस्या का समाधान कर लिया गया। क़ीमतों पर भी लगातार नज़र बनाए रखी गई। जिसके कारण आवश्यक वस्तुओं एवं दवाईयों के दाम नहीं बढ़ने दिए गए। आवश्यक राशन सामग्री एवं फल सब्ज़ियाँ भी समय पर लोगों तक पहुँचाई गईं। शीघ्र नष्ट होने वाले पदार्थों को समय पर बाज़ार पहुँचाने के उद्देश्य से सही समय पर देश के उन भागों में मंडियां प्रारम्भ कर दी गई जहाँ कोरोना वायरस का शून्य अथवा कम प्रभाव था। अभी तक देश में 1600 से अधिक मंडियाँ खोली जा चुकी हैं। टमाटर, आलू, प्याज़, अन्य सब्ज़ियों एवं फलों आदि की आपूर्ति को बनाए रखने में कामयाबी हासिल की गई है। स्थिति को लगातार नियंत्रण में बनाए रखने में सफलता प्राप्त हुई है।
यूँ तो देश में ज़रूरी राशन सामग्री, फलों एवं सब्ज़ियों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है परंतु फिर भी केंद्र सरकार ने सही समय पर इन वस्तुओं का उत्पादन एवं प्रसंस्करण करने वाली इकाईयों को प्रारम्भ करने की इजाज़त दे दी ताकि देश में इन उत्पादों की बिल्कुल कमी नहीं हो पाए एवं आवश्यक उत्पादों की आपूर्ति लगातार देश में बनी रहे तथा इन पदार्थों की क़ीमतें न बढ़ पाएँ।
देश में एफएमसीजी क्षेत्र में खाद्य सामग्री आधारित 50 से 70 के बीच बड़ी कम्पनियाँ, ई-कामर्स कम्पनियाँ एवं व्यापार से व्यापार (बीटूबी) करने वाली कम्पनियाँ हैं जो सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। लॉक डाउन के कारण इन कम्पनियों का उत्पादन घटकर 20/25 प्रतिशत होने लगा था परंतु केंद्र सरकार इन कम्पनियों से लगातार सम्पर्क बनाए रही ताकि इनके द्वारा आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन को पुनः बढ़ाया जा सके। हालाँकि इन कम्पनियों के सामने भी चुनौतीयां कम नहीं थी। इन कम्पनियों में कार्य करने वाले श्रमिक शहरों से गावों की ओर पलायन कर चुके थे। परंतु, उत्पादन इकाईयों के आस पास निवास कर रहे श्रमिकों को काम पर बुलाकर इन कम्पनियों ने उत्पादन पुनः प्रारम्भ कर दिया। केंद्र सरकार ने इन श्रमिकों को ई-पास जारी करने की प्रणाली प्रारम्भ कर दी। ताकि इस तरह के श्रमिकों को उत्पादन इकाई एवं इनके घरों से आने जाने में कोई परेशानी नहीं हो। केंद्र सरकार ने उत्पादकों, वितरकों, डिपो के मालिकों, परिवहन क्षेत्र के लोगों, थोक विक्रेताओं एवं फ़ुटकर विक्रेताओं आदि का सहयोग प्राप्त किया। सरकार लगातार इनके सम्पर्क में बनी रही और इन सभी में सामंजस्य बिठाने का लगातार प्रयास किया। केंद्र सरकार लगातार पूरी सक्रियता से कार्य करती रही है।
यातायात वाहनों, विशेष रूप से ट्रकों, का सुरक्षा के साथ देश के विभिन्न भागों में आवागमन जारी रखा गया है। इसी प्रकार श्रमिकों के लिए विशेष वाहनों, बसों आदि की व्यवस्था भी की जाती रही ताकि उन्हें गावों से विनिर्माण इकाईयों की ओर आसानी से लाया जा सके। श्रमिकों के रहने की व्यवस्था भी विनिर्माण इकाईयों के आस पास करने का प्रयास भी किया गया है। यह सब लॉक डाउन के पूरे नियमों का पालन करते हुए किया जा रहा है।
भारत में कृषि क्षेत्र भी एक अहम क्षेत्र है। किसानों को खड़ी फ़सल काटने की अनुमति भी सही समय पर दे दी गई। काटी गई फ़सल को गोदामों में पहुँचाने की व्यवस्था भी की गई है। मंडियाँ भी खोल दी गई ताकि काटी गई फ़सलों को किसानों द्वारा बेचा जा सके। अभी देश में 544 लाख टन अनाज सरकारी गोदामों में उपलब्ध है। देश में अनाज की उपलब्धता पर्याप्त है। दालें भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। नई फ़सल गेहूँ, सरसों, चना आदि की कटाई हो रही है लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक कटाई सम्पन्न हो चुकी है। इसे बाज़ार में भी लाया जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने भी ख़रीद प्रारम्भ कर दी है। इस बार देश के कुछ गावों में फ़सलों की कटाई कार सेवा की तर्ज़ पर हुई है। गाँव के सभी किसानों ने मिलकर एक दूसरे के खेत पर खाड़ी फ़सल को काटा है। हालाँकि देश में मशीनीकरण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों द्वारा फ़सल कटाई के लिए मशीनों का उपयोग किस प्रकार करना है ताकि लॉक डाउन के नियमों का पालन भी किया जा सके एवं सामाजिक दूरी भी बनाए रखी जा सके। कृषि मंत्रालय ने इस सम्बंध में मानक परिचालन प्रक्रिया बनाई है। यह कृषि मंत्रालय की वेब साइट पर उपलब्ध है। ज़िला प्रशासन भी इस सम्बंध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण इकाईयों के लिए उनके श्रमिकों को इन इकाईयों तक पहुँचाने हेतु आसानी से अनुमती दी जा रही है। हाँ, सामाजिक दूरी बनाए रखने का ध्यान भी रखा जा रहा है। देश में कई ऑटो कम्पनियों ने भी उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है। ज़रूरी वस्तुएँ सब जगह लगातार मिल रही हैं। देश में पूरा सरकारी तंत्र एवं निजी संस्थान भी लगे हुए हैं ताकि देश में घबड़ाहट की स्थिति निर्मित नहीं हो और देश में ज़रूरी समान की निर्बाध रूप से आपूर्ति बनी रहे।
राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, देश में लॉक डाउन के लागू रहने के बावजूद, मध्य प्रदेश में अब तक 98-99 प्रतिशत गेहूँ की कटाई की जा चुकी है। इसी प्रकार राजस्थान में 92-95 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 85-88 प्रतिशत, हरियाणा में 55-60 प्रतिशत, पंजाब में 60-65 प्रतिशत एवं अन्य राज्यों में 87-88 प्रतिशत गेहूँ की कटाई सम्पन्न हो चुकी है। यहाँ यह जानकर ख़ुशी होती है कि ग्रामीण इलाक़ों में भी किसानों ने सामान्य तौर पर लॉक डाउन के नियमों का पालन करने का भरपूर प्रयास किया है। कृषि मंत्रालय द्वारा दी गई एक अन्य जानकारी के अनुसार देश में अब तक केंद्र ने 1.92 लाख टन चना दाल एवं तूर दाल की ख़रीदी एवं 1.83 लाख टन सरसों के बीज की ख़रीदी (कुल मिलाकर 3.75 लाख टन) मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत कर ली है।
कोरोना वायरस की महामारी से एक बात ज़रूर सीखी गई है कि अब विश्व के लगभग सभी देश यह महसूस करने लगे हैं कि देश में आंतरिक सप्लाई चेन बहुत मज़बूत होना ज़रूरी है। आवश्यक राशन सामग्री एवं दवाईयों का उत्पादन तथा इनका पर्याप्त भंडारण देश में ही होना चाहिए। ऐसे समय में विदेशों से आयातित सामग्री पर लम्बे समय तक निर्भर नहीं रहा जा सकता।
विश्व में चीन कई उत्पादों, विशेष रूप से कच्चे माल का वैश्विक आपूर्ति केंद्र बना हुआ है। भारत भी देश में निर्मित हो रहीं दवाईयों के लिए भारी मात्रा में कच्चा माल चीन से ही आयात करता है। पेरासिटामोल नामक एक दवाई के लिए तो 90 प्रतिशत तक कच्चा माल चीन से आता है। यहाँ यह सोचने वाली बात है कि किसी कारण से यदि इस कच्चे माल की आपूर्ति चीन से बंद हो जाए तो देश में इस दवाई के निर्माण की क्या स्थिति होगी। हमें गंभीरता से विचार करना होगा की हम सारे के सारे अंडे एक ही टोकरी में क्यों रख रहे हैं।
पूरे विश्व में फैली कोरोना वायरस की महामारी अपने आप में अभूतपूर्व संकट है जो पूर्व में कभी भी नहीं देखा गया है। विश्व व्यापार संगठन के एक आकलन के अनुसार वैश्विक विदेशी व्यापार, उक्त कारणों के चलते, लगभग 32 प्रतिशत तक गिर सकता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का आकलन है कि इस महामारी के चलते पूरे विश्व में लगभग 9 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि से कुल आय कम होने की सम्भावना है। जिसके कारण एक बहुत बड़ी संख्या में लोग पुनः ग़रीबी रेखा के नीचे आ जाएँगे। ऐसी विकट स्थिति में सप्लाई चैन का महत्व बहुत बढ़ जाता है। भारत ने अपने देश में सप्लाई चैन को मज़बूत रखने में बहुत बड़ी सफलता पाई है।
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