वर्ष 2023 में भारत में निवेशक हुए मालामाल

भारतीय शेयर (पूंजी) बाजार द्वारा वर्ष 2023 में 20 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर अर्जित की गई है। वर्ष 2023 में सेन्सेक्स 11,399 अंकों (18.73 प्रतिशत) की बढ़त के साथ 72,082 अंकों के स्तर पर बंद हुआ है तो वहीं निफ्टी 3,626 अंको (20 प्रतिशत) की बढ़त के साथ 21,731 अंकों के स्तर पर बंद हुआ है। 



भारत के शेयर बाजार में उक्त वर्णित तेजी के चलते वर्ष 2023 में भारत के शेयर बाजार में निवेशकों के  शेयरों में निवेश का बाजार मूल्य 81.90 लाख करोड़ रुपए से बढ़ गया है, जबकि वर्ष 2022 में यह 16.38 लाख करोड़ रुपए से बढ़ा था। यह भारत की लगातार उच्च स्तर की आर्थिक प्रगति एवं देश में राजनैतिक वातावरण के स्थिर बने रहने के कारण सम्भव हो सका है। हाल ही में तीन राज्यों में सम्पन्न हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के कारण भी शेयर बाजार में उच्छाल देखा गया था। वर्ष 2023 में बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड कम्पनियों के शेयरों का बाजार पूंजीकरण 81.90 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ 364.28 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पर कर गया है। वर्ष 2023 में भारतीय शेयर बाजार में दर्ज की गई उक्त वृद्धि दर विश्व के समस्त इमर्जिंग बाजारों के बीच सबसे अधिक है। 29 नवम्बर 2023 को तो बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज पर पंजीकृत समस्त कम्पनियों का बाजार पूंजीकरण का स्तर 4 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया था जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार से भी अधिक है। भारत के संदर्भ में यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अभी 3.75 लाख करोड़ रुपए का ही है। 24 मार्च 2021 को बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज पर पंजीकृत समस्त कम्पनियों का बाजार पूंजीकरण 3 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचा था, इस प्रकार केवल 2 वर्ष 8 माह के खंडकाल में ही उक्त कम्पनियों द्वारा जारी शेयरों का बाजार पूंजीकरण एक लाख करोड़ रुपए की राशि से बढ़ गया है।   

वर्ष 2023 में भारत के बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज के समाल केप (छोटे आकर की कम्पनियों द्वारा जारी शेयरों का बाजार पूंजीकरण) इंडेक्स में तो 47.52 प्रतिशत की बृद्धि दर आंकी गई है। वहीं, मिड केप (मध्यम आकार की कम्पनियों द्वारा जारी शेयरों का बाजार पूंजीकरण) इंडेक्स द्वारा 45.52 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित कर की गई है। 

30 शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज इंडेक्स ने केवल नवम्बर 2023 माह में ही 4.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और दिसम्बर 2023 माह तो 7.83 प्रतिशत की वृद्धि के साथ आगे बढ़ा है। इस प्रकार नवम्बर एवं दिसम्बर 2023 माह भारत में निवेशकों के लिए बहुत फलदायी सिद्ध हुए हैं। यह सब भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वित्तीय वर्ष 2023-24 की दो तिमाहीयों, अप्रेल-जून 2023 में 7.8 प्रतिशत की एवं जुलाई-सितम्बर 2023 में 7.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर हासिल करने एवं कम्पनियों की लाभप्रदता में हुई अतुलनीय वृद्धि दर के चलते सम्भव हो पाया है। साथ ही, भारत में वृहद्द (मैक्रो) स्तर पर अर्थव्यवस्था में मजबूत संकेत बने हुए है तथा अब मुद्रा स्फीति पर भी नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भी कुछ नरमी आई है। इससे भारतीय रुपए के मूल्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमत में भी स्थिरता दिखाई दी है।   

आज भारत के शेयर बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों का बाजार पूंजीकरण 17.48 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गया है, जो भारत में प्रथम स्थान पर है। द्वितीय स्थान पर टाटा कन्सल्टैंसी सर्विसेज है, जिसका शेयर बाजार पूंजीकरण 13.88 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है, तृतीय स्थान पर 12.98 लाख करोड़ रुपए के शेयर बाजार पूंजीकरण के साथ एचडीएफसी बैंक है। चतुर्थ स्थान पर 6.99 लाख करोड़ रुपए के शेयर बाजार पूंजीकरण के साथ आईसीआईसीआई बैंक है। इनफोसिस कम्पनी का पांचवा स्थान है, जिसका शेयर बाजार पूंजीकरण 6.40 लाख करोड़ रुपए का है। 

विदेशी पॉर्ट्फोलीओ निवेशकों ने भी भारत के शेयर बाजार में वर्ष 2023 में 1.70 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का निवेश किया है। यह विदेशी निवेशकों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर लगातार बढ़ रहे विश्वास को दर्शा रहा है। केवल दिसम्बर 2023 माह में ही 66,134 करोड़ रुपए का निवेश विदेशी पॉर्ट्फोलीओ निवेशकों द्वारा भारत के शेयर बाजार में किया गया है। 

वर्ष 2024 में अमेरिकी बाजार में अब ब्याज दरों में कमी की सम्भावना व्यक्त की जा रही है इसके चलते वर्ष 2024 में भी भारत के शेयर बाजार में अमेरिकी पॉर्ट्फोलीओ निवेशकों द्वारा और अधिक मात्रा में निवेश किया जा सकता है। वर्ष 2022 में विदेशी पॉर्ट्फोलीओ निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 1.21 लाख करोड़ रुपए निकाले थे क्योंकि विकसित देशों ने मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से ब्याज दरों में बेतहाशा वृद्धि की थी। जबकि वर्ष 2021 में 25,752 करोड़ रुपए का, वर्ष 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपए का एवं वर्ष 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपए का निवेश भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पॉर्ट्फोलीओ निवेशकों द्वारा किया गया था।

वर्ष 2024 में विभिन्न देशों में मुद्रा स्फीति के नियंत्रण में रहने की सम्भावनाओं के बीच केंद्रीय बैकों द्वारा ब्याज दरों में कमी किए जाने के संकेत मिलने लगे हैं, अमेरिका में तो बांड यील्ड 5 प्रतिशत से अधिक रहते हुए अब 4 प्रतिशत के भी नीचे आ गई है अतः विदेशी निवेशक अब भारत जैसी तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में अपना निवेश निश्चित रूप से बढ़ाएंगे। इस प्रकार, भारत के शेयर बाजार में तेजी की सम्भावनाएं वर्ष 2024 में लिए भी बनी हुई हैं।

भारतीय शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की संख्या तो बढ़ी ही है साथ ही इन निवेशकों का शेयर बाजार पर विश्वास भी बढ़ा है और अब खुदरा निवेशक भी निवेश के सम्बंध में सही समय पर सही निर्णय लेकर अपने निवेश का बाजार मूल्य बढ़ाने में सफलता हासिल करने लगे हैं। भारत में 8 करोड़ से अधिक खुदरा निवेशकों के 13 करोड़ से अधिक डीमैट खाते खोले जा चुके हैं। डीमैट खाता उस खाते को कहते हैं जिसके माध्यम से शेयर बाजार में शायर खरीदे एवं बेचे जाते हैं। 

वर्ष 2024 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी लगभग 10 प्रतिशत कम हुई हैं, इसका भी विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव रहा है और अन्य देशों में भी इससे मुद्रा स्फीति की दर में कमी आ सकी है तथा कम्पनियों की लाभप्रदता में वृद्धि दर्ज हुई है। यह भी एक सुखद खबर है कि रूस यूक्रेन युद्ध, हम्मास इजराईल युद्ध एवं पश्चिमी एशियाई देशों के बीच लगातार बढ़ रहे  तनाव का असर भारतीय पूंजी बाजार पर नहीं के बराबर पड़ा है। 

विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में किए जा रहे भारी निवेश एवं भारत में लगातार बढ़ रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चलते भारत के विदेशी मुद्रा भंडार भी 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गए हैं। यह भारत के लिए बहुत सुखद स्थिति है।