कोरोना महामारी का पर्यटन उद्योग पर प्रभाव एवं केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे उपाय
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस ने कोरोना वायरस और पर्यटन की नीति पर बोलते हुए कहा है कि कोरोना महामारी से वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग को वित्तीय वर्ष 2020 के पहले पांच महीनों में 32,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निर्यात का नुकसान हुआ है। पूरे विश्व के पर्यटन उद्योग में 12 करोड़ नौकरियां खतरे में हैं। पर्यटन, वैश्विक अर्थव्यवस्था का ईंधन और रसायन के बाद, तीसरा सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है। वर्ष 2019 में, वैश्विक व्यापार में, पर्यटन क्षेत्र का हिस्सा सात प्रतिशत रहा था। वैश्विक स्तर पर प्रत्येक 10 में से एक व्यक्ति को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ने में मदद भी करता है, इसलिए यह जरुरी है कि सभी देश अब मिलकर पर्यटन क्षेत्र का पुर्ननिर्माण करें। लेकिन, यह एक तरह से सुरक्षित, न्यायसंगत और जलवायु के अनुकूल होना चाहिए।
पूरे विश्व में 28 देश ऐसे हैं जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था ही पर्यटन के ऊपर टिकी हुई है। भारत में भी रोज़गार एवं राजस्व में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 12 से 13 प्रतिशत का रहता है। कोरोना महामारी के चलते भारत में भी पर्यटन उद्योग को बहुत अधिक नुक़सान हुआ है। भारत में प्रति वर्ष 110 लाख विदेशी पर्यटक आते हैं एवं विदेशों में रह रहे 60 लाख भारतीय भी भारत आते हैं। इस प्रकार, कुल मिलाकर 170 लाख पर्यटक प्रति वर्ष विदेशों से भारत आते हैं। साथ ही, 280 लाख भारतीय भी पर्यटन के उद्देश्य से भारत से अन्य देशों में जाते हैं। कुल मिलाकर प्रति वर्ष 450 लाख लोग भारत से बाहर एवं भारत में विदेशी पर्यटन करते हैं। यदि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार लगभग 200 लाख करोड़ रुपए का है तो इसका 10 प्रतिशत अर्थात 20 लाख करोड़ रुपए का भारतीय पर्यटन का आकार है। भारत में 2800 से 2900 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा का अर्जन भी विदेशी पर्यटकों से होता है।
पर्यटन एक ऐसा उद्योग है जिसमें कम निवेश से रोज़गार के अधिक अवसर बनते हैं। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा किए गए एक आकलन के अनुसार पर्यटन पर प्रति रुपए 10 लाख के निवेश पर 47.5 रोज़गार के अवसर प्रतिपादित होते हैं जबकि कृषि एवं विनिर्माण के क्षेत्र में इसी निवेश की राशि से क्रमशः 44.7 एवं 12.6 रोज़गार के अवसर प्रतिपादित होते हैं। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2017-18 में देश में 8.11 करोड़ लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा था, जो कि देश में कुल रोज़गार के अवसरों का 12.38 प्रतिशत था। इस उद्योग में रोज़गार एवं विदेशी मुद्रा अर्जन की असीम सम्भावनाएँ मौजूद हैं। यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्र, वर्तमान में भारत का तीसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा अर्जन करने वाला क्षेत्र है। साथ ही, देश के सकल घरेलू उत्पाद में भी इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतज़ाम, होटेल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को भी रोज़गार के अवसर प्राप्त होते हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पर्यटन क्षेत्र पर शायद सबसे अधिक विपरीत प्रभाव कोरोना महामारी के दौरान देखने में आया है एवं कोरोना महामारी का असर विश्व के सभी देशों के पर्यटन स्थलों पर पड़ा है। इसके चलते विभिन्न देशों में राजस्व, रोज़गार एवं अर्थव्यवस्था तीनों को बहुत भारी नुक़सान हो रहा है। वस्तुतः पर्यटन उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है जिसे कोरोना महामारी के कारण सर्वाधिक नुक़सान हुआ है। इसलिए आज सभी देशों के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह आकर खड़ा हुआ है कि पर्यटन उद्योग को कोरोना महामारी के चलते हुए भारी नुक़सान से किस प्रकार उबारा जाय। एक नज़रिया तो यह है कि कोरोना महामारी के पूर्ण रूप से ख़त्म होने पर ही पर्यटन उद्योग में सुधार/बदलाव देखने को मिलेगा। क्योंकि, लोग जब तक स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे तब तक यात्रा के लिए घरों से बाहर ही नहीं निकलना चाहेंगे। और वैसे भी, पर्यटन, लोगों के लिए दरअसल एक मूलभूत आवश्यकता की श्रेणी का कार्य नहीं है। सामान्यतः पर्यटन तो फ़ुर्सत के क्षणों में किया जाता है, जब सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। आज की विशेष परिस्थितियों में तो पर्यटन वैसे भी अंतिम प्राथमिकता की श्रेणी का कार्य बन गया है। इस प्रकार पर्यटन उद्योग को वापिस पटरी पर लाना बहुत ही टेड़ी खीर साबित होने जा रहा है।
जैसा कि उपरोक्त पैरा में वर्णित किया गया है कि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है जिसका पूरी अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक असर पड़ता है। पर्यटन उद्योग में रोज़गार के सीधे अवसरों के अलावा अपरोक्ष रूप से भी रोज़गार के कई अवसर निर्मित होते हैं। इस उद्योग के माध्यम से देश में ग़रीबी का निदान सम्भव है एवं इस उद्योग में गतिविधियों के माध्यम से ही देश को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का अर्जन भी होता है। इसलिए इस उद्योग को यू हीं नहीं छोड़ा जा सकता कि कोरोना महामारी के पूर्णतः ठीक होने के बाद यह उद्योग अपने आप उबर जाएगा। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर दुनिया के कई देशों ने न केवल अपने यहाँ के पर्यटन क्षेत्रों को देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिए खोल दिया है।बल्कि कई देशों ने तो पर्यटन उद्योग के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणाएँ भी की हैं। भारत में भी केंद्र सरकार अब पर्यटन क्षेत्र को कुछ राहत प्रदान करती दिखाई दे रही है। जैसे, कुछ रेलगाड़ियों को प्रारम्भ कर दिया गया है। एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में लोगों को आने जाने की छूट प्रदान कर दी गई है। मुंबई में लोकल ट्रेन को चालू कर दिया गया है एवं दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत भी 7 सितम्बर 2020 से की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ उड़ानों को प्रारम्भ कर दिया गया है। पहिले हर राज्य द्वारा क्वॉरंटीन सम्बंधी नियमों को अपने स्तर पर ही लागू किया जा रहा था, परंतु अब राज्य सरकारों को इन नियमों को लागू करने के पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। इस प्रकार पूरे देश में क्वॉरंटीन सम्बंधी नियमों में एकरूपता लाई जा रही है, ताकि नागरिकों में विश्वास बढ़े। साथ ही, वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं को, कुछ नियमों का पालन करते हुए, जाने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। कुछ राज्य सरकारों ने भी अंतरराज्यीय बसों को चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है।
पर्यटन उद्योग की महत्ता को देखते हुए अब यह लगने लगा है कि केंद्र एवं राज्य सरकारों को पर्यटन क्षेत्र को खोलने के सम्बंध में कई और भी महत्वपूर्ण निर्णय शीघ्र ही लेने पड़ सकते हैं। हाँ, कोरोना बीमारी के प्रति सावधानी बरतना भी जारी रखना होगा। इस सम्बंध में केंद्र सरकार ने जो भी नियम जारी किए हैं उनका कड़ाई से पालन करना अनिवार्य है। भारत एक बहुत बड़ा देश है, यहाँ नियमों का कड़ाई से पालन कराना भी अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। कोरोना बीमारी से स्वयं को तथा अपने परिवार और समाज को सुरक्षित रखने का कार्य भी वर्तमान समय में, देश के नागरिकों के लिए, धर्म और संस्कृति का ही कार्य माना जाना चाहिए। अतः इसके बचाव के लिए जो भी दिशानिर्देश केंद्र एवं राज्य सरकारें समय समय पर जारी कर रहे हैं उनका पालन करना राष्ट्र धर्म के पालन की श्रेणी में माना जाना चाहिए। परंतु साथ ही, कोरोना बीमारी के प्रति लोगों के मन से भय निकालना भी अब ज़रूरी है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा सुझाई गई सावधानियों का पालन करते हुए, लोग यदि घरों से बाहर निकलते हैं तो यह उनके लिए भी एक अच्छा क़दम होगा क्योंकि वे लगातार पिछले चार/पाँच माह से घरों में ही बैठे हैं जिसके कारण कई लोग अब मनोवैज्ञानिक दबाव में हैं। जीवन का तनाव, घर से बाहर निकलकर, दूर किया जा सकता है। अतः अब कोरोना बीमारी से बचाव एवं पर्यटन को प्रारम्भ करने के बीच सामंजस्य बिठाना ज़रूरी है।
अभी पर्यटन की दृष्टि से लोगों का घरों से बाहर निकलना बहुत कम है। नागरिकों में विश्वास की भावना जगाने के लिए होटलों को सेनेटाईज़ सम्बंधी नियमों का, अनिवार्य रूप से, कड़ाई से पालन करना आवश्यक होना चाहिए। पर्यटन उद्योग में कुशल श्रमिकों की भी ज़रूरत होती हैं, इन्हें कार्य करने हेतु उद्योग में वापिस लाया जाना चाहिए। हाल ही में केरल एवं कर्नाटक राज्यों ने पर्यटन उद्योग को पुनः प्रारम्भ करने के उद्देश्य से कुछ राहत देने की घोषणा की है। इसी प्रकार की घोषणाएँ कुछ अन्य राज्य भी शीघ्र ही कर सकते हैं। देश में अति महत्व वाले धार्मिक स्थलों को भी, केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कोरोना बीमारी के सम्बंध में घोषित किए गए नियमों के कड़ाई से पालन करने की शर्तों के साथ, वापिस खोला जा सकता है। हरिद्वार, वाराणसी, वृंदावन, अयोध्या, तिरुपति बालाजी, बद्रीनाथ, केदारनाथ एवं अन्य धार्मिक महत्व वाले स्थलों को खोला जाना चाहिए जिस प्रकार कि वैष्णो देवी मंदिर को खोल दिया गया है। हमारे देश के पुराणों में वैसे भी धार्मिक स्थलों पर दर्शन, पूजा एवं अनुषठान कार्य आदि के लिए नियमों का अनुशासन के साथ पालन करने का वर्णन है। अतः कोरोना महामारी के चलते अथवा अन्यथा भी हमें हमारे धार्मिक स्थलों पर इन सभी नियमों का पालन करना ही चाहिए।
हालाँकि अब कुछ अच्छी ख़बरें भी आने लगी हैं। देश के कुछ होटलों में सप्ताह अंत के समय के लिए बुकिंग अब फ़ुल होने लगी है। धीमे धीमे ही सही घरेलू पर्यटन तो प्रारम्भ हो रहा है। यह अब और आगे बढ़ेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है। आसपास के शहरों में ऐसे कई स्थान पाए जाते हैं जहाँ सप्ताह अंत में जाया जा सकता है। ऐसे इलाक़ों में एवं देश के ग्रामीण इलाक़ों में पर्यटन की अपार सम्भावनाएँ मौजूद है। अब लोग दरअसल अपने घरों से बाहर निकलना चाह रहे हैं। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा मिलकर किए जा रहे प्रयासों के कारण ऐसा महसूस होने लगा है कि देश में अब घरेलू पर्यटन तो शीघ्र ही पुनर्जीवित हो जाएगा। हाँ, विदेशी पर्यटन के पुनर्जीवित होने में अभी ज़रूर कुछ समय और लग सकता है।
2 Comments
Wow superb
ReplyDeleteSir economy can be boosted only when vaccine comes. Till then it will move only on FMCG sector
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