जल शक्ति अभियान को सफल बनाना ही होगा 

भारतवर्ष में जल शक्ति अभियान की शुरुआत दिनांक 1 जुलाई 2019 से कर दी गई है। यह अभियान देश में स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज़ पर जन भागीदारी के साथ चलाया जाएगा। जल शक्ति अभियान की हमारे देश में क्यों आवश्यकता पड़ी, इस प्रश्न को समझने के लिए ज़रा नीचे दिए गए भयावह आँकड़ों पर ग़ौर करें -

(१) पिछले 70 सालों में देश में 20 लाख कुएँ, पोखर एवं झीलें ख़त्म हो चुके हैं।
(२) पिछले 10 सालों में देश की 30 प्रतिशत नदियाँ सूख गई हैं।
(३) देश के 54 प्रतिशत हिस्से का भूजल स्तर तेज़ी से गिर रहा है।
(४) एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक देश के 40 प्रतिशत लोगों को पानी नहीं मिल पाएगा।
(५) नई दिल्ली सहित देश के 21 शहरों में पानी ख़त्म होने की कगार पर है। चैनई में तो हालात इसी वर्ष बद से बदतर हो चुके हैं, जैसा कि आप समाचार पत्रों एवं टीवी कार्यक्रमों में देख ही रहे होंगे।
(६) हाल ही में “वाटर एड” नामक संस्था द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में पानी की कमी से जूझती सबसे अधिक आबादी भारत वर्ष में ही है, जो वर्ष भर के किसी न किसी समय पर, पानी की कमी से जूझती नज़र आती है। इस समय भारत, इतिहास में, पानी की कमी के सबसे बड़े संकट से जूझ रहा है। 

देश में प्रतिवर्ष औसतन 110 सेंटी मीटर बारिश होती है एवं बारिश के केवल 8 प्रतिशत पानी का ही संचय हो पाता है, बाक़ी 92 प्रतिशत पानी बेकार चला जाता है। अतः देश में, शहरी एवं ग्रामीण इलाक़ों में, भूजल का उपयोग कर पानी की पूर्ति की जा रही है। भूजल का उपयोग इतनी बेदर्दी से किया जा रहा है की आज देश के कई भागों में हालात इतने ख़राब हो चुके हैं कि 500 फ़ुट तक ज़मीन खोदने के बाद भी ज़मीन से पानी नहीं निकल पा रहा है। एक अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में उपयोग किए जा रहे भूजल का 24 प्रतिशत हिस्सा केवल भारत में ही उपयोग हो रहा है। यह अमेरिका एवं  चीन दोनों देशों द्वारा मिलाकर उपयोग किए जा रहे भूजल से भी अधिक है। देखिए, इसी कारण से भारत के भूजल स्तर में तेज़ी से कमी आ रही है।  

जल शक्ति अभियान की शुरुआत दो चरणों में की गई है। इस अभियान के अंतर्गत बारिश के पानी का संग्रहण, पानी का प्रबंधन एवं जल संरक्षण आदि कार्यों पर ध्यान दिया जाएगा। पहिले चरण में, जो 1 जुलाई 2019 से 15 सितम्बर 2019 तक रहेगा, बरसात के पानी का संग्रहण करने हेतु प्रयास किए जाएँगे। इस हेतु देश के उन 256 जिलों पर फ़ोकस रहेगा, जहाँ स्थिति अत्यंत गंभीर  एवं भयावह है। हाल ही में, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अस्तित्व में आई केंद्र सरकार ने  एक नए “जल शक्ति मंत्रालय” का गठन किया है। जल शक्ति अभियान को सफलता पूर्वक चलाने  की पूरी ज़िम्मेदारी इस नए मंत्रालय की होगी। अतः जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान को, विशेष रूप से उक्त 256 जिलों में, सफल बनाने के उद्देश्य से इन जिलों को 256 अधिकारियों को अबँटीत किया जा रहा है, जो इन जिलों का दौरा करेंगे एवं स्थानीय स्तर पर आवश्यकता अनुरूप कई कार्यक्रमों को लागू कर इन जिलों के भूजल स्तर में वृधि करने हेतु प्रयास करेंगे। पानी के संचय हेतु विभिन्न संरचनाएँ यथा तालाब, चेकडेम, रोबियन स्ट्रक्चर, स्टॉप डेम, पेरकोलेशन टैंक ज़मीन के ऊपर या नीचे बड़ी मात्रा में बनाए जा सकते हैं। 

देश में लोगों को पानी का मूल्य नहीं पता है, वे समझते हैं जैसे पानी आसानी से उपलब्ध है। इस हेतु सरकार को 24 घंटे 7 दिन की पानी की आपूर्ति के बजाय समय पर, रिसाव-प्रूफ़ और सुरक्षित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। विभिन्न स्तरों पर पाइप लाइन में रिसाव से बहुत सारे पानी का अपव्यय हो जाता है। साथ ही, सरकार को किसानों के लिए घरेलू स्तर या ड्रिप/स्प्रिंक्लर जैसे कुशल पानी के उपयोग वाले उत्पादों और सेंसर-टैप एक्सेसरीज़, आटोमेटिक मोटर कंट्रोलर आदि पर सब्सिडी देकर किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए। देश की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित किए बिना सिंचाई स्तर पर पानी के उपयोग को नियंत्रित करना, सबसे महत्वपूर्ण विचार है क्योंकि यह 85 प्रतिशत भूजल का उपयोग करता है। स्प्रिंक्लर तकनीक को प्रभावी ढंग से लागू करके प्रति एकड़ सिंचाई के लिए पानी की खपत में 40 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है।

अब समय आ गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर जल साक्षरता पर प्राथमिक ध्यान दिया जाय। अतः प्राथमिक शिक्षा स्तर पर पानी की बचत एवं संरक्षण, आदि विषयों पर विशेष अध्याय जोड़े जाने चाहिए।
  
सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न उपायों के अतिरिक्त सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आना होगा तथा जल संग्रहण एवं जल प्रबंधन हेतु समाज में लोगों को जागरूक करना होगा। शहरी एवं ग्रामीण इलाक़ों में इस सम्बंध में अलख जगाना होगा। तभी हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी आवश्यकता पूर्ति हेतु जल छोड़कर जा पाएँगे अन्यथा तो हमारे स्वयं के जीवन में ही जल की उपलब्धता शून्य की स्थिति पर पहुँच जाने वाली है।