विद्युत वाहनों के प्रोत्साहन हेतु सरकार कर रही है कई प्रयास 


यह कई अध्यनों के माध्यम से सिद्ध हो चुका है की भारत में कार्बन उत्सर्जन के कुछ मुख्य कारणों  में पेट्रोल एवं डीज़ल वाहनों द्वारा छोड़ी जा रही गैस भी शामिल है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो सर्दियों के मौसम के दौरान वातावरण में इतना कोहरा भर जाता है की लगभग 10 मीटर तक की दूरी से भी साफ़ दिखाई देने में दिक़्क़त का सामना करना पड़ता है। जिससे सड़क, रेल्वे एवं हवाई यातायात में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है एवं इन इलाक़ों के निवासी प्रदूषण युक्त वातावरण में साँस लेने को मजबूर हैं।   

उक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019-20 के बजट के माध्यम कई प्रोत्साहनो की घोषणा कर विद्युत वाहनों के चलन को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। क्योंकि, विद्युत वाहनों के बढ़ते चलन से, कार्बन उत्सर्जन में तेज़ी से कमी आएगी, वातावरण में प्रदूषण मुक्त हवा की उपलब्धता बढ़ेगी जिससे इन इलाक़ों में निवास कर रहे लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा एवं एकोलोजिकल नुक़सान को भी कम किया जा सकेगा। 

विद्युत वाहनो के चलन से अन्य कई फ़ायदे भी हैं। यथा, इन वाहनो के चलाने की प्रति किलोमीटर  लागत पेट्रोल एवं डीज़ल वाहनों की तुलना में बहुत कम (लगभग आधी) है। इन वाहनो के रख रखाव का ख़र्च भी तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। इनसे ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आती है। सुरक्षा में सुधार होता है क्योंकि इनसे आग या विस्फोटों का ख़तरा बहुत ही कम हो जाता है। साथ ही, यहाँ यह जानना भी आवश्यक होगा की भारत अपनी पेट्रोलीयम उत्पादों की कुल आवश्यकताओं का 83 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात करता है, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का ख़र्च प्रति वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। विद्युत वाहनो के अधिक चलन से देश में पेट्रोलीयम उत्पादों के विदेशों से आयात में भारी कमी की जा सकेगी जिससे देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी। भारत में चलाए जा रहे कुल वाहनों में विद्युत वाहनों का हिस्सा केवल 0.06 प्रतिशत है। जबकि नॉर्वे में यह हिस्सा 39 प्रतिशत है एवं चीन में 2 प्रतिशत है। अतः भारत सरकार द्वारा देश में विद्युत वाहनों के चलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई प्रयास किए जा रहे हैं। 

विद्युत वाहनों के प्रचलन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा विद्युत वाहनों की ख़रीदी पर जीएसटी की दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है तथा विद्युत वाहन की ख़रीदी हेतु यदि ऋण लिया जाता है तो इस ऋण की राशि पर लगाने वाले ब्याज की राशि पर आय कर से कुछ छूट प्रदान की जाएगी। साथ ही, विद्युत वाहनों के लिए उपयोग होने वाले उत्पाद यथा लिथियम-ईयोन सेल्ज़ पर आयात कर में छूट की घोषणा भी की गई है जिससे विद्युत वाहनो की लागत कम की जा सकेगी। हालाँकि भारत सरकार, सौर विद्युत चार्जिंग आधारिक संरचना, इससे सम्बंधित अन्य अवयवों का भारत में निर्माण एवं लिथियम बैटरी भंडारण को भारत में ही स्थापित करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए निवेश के आधार पर आय कर में छूट, अप्रत्यक्ष करों में लाभ आदि कई तरह के प्रोत्साहन देने हेतु भी प्रयास कर रही है। 
यहाँ यह बताना सारगर्भित होगा की पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्था तथा ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद द्वारा उपलब्ध करायी गई एक जानकारी के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों के दौरान भारत में नवीकरन ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश, वर्ष 2018 में बढ़कर 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। नवीकरन ऊर्जा के क्षेत्र में किया गया निवेश, तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में किए गए पूँजीगत निवेश से भी अब अधिक हो गया है। साथ ही, सौर ऊर्जा से उत्पादित की जा रही बिजली की टेरिफ की दरें भी गिरकर मात्र 2.44 रुपए प्रति यूनिट हो गई हैं। जो विश्व में सबसे कम दरों में से एक है। भारत द्वारा वर्ष 2022 तक स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से 175 GW बिजली के उत्पादन की क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से 100 GW बिजली के उत्पादन की क्षमता सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ही स्थापित की जाना है। इस प्रकार यह देखने में आ रहा है की देश में आगे आने वाले वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा की माँग के साथ साथ आपूर्ति भी तेज़ी से बढ़ने वाली है। अतः विद्युत वाहनों को चलाने हेतु देश में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध होगी एवं नागरिकों को इस सम्बंध में कोई दिक़्क़त महसूस नहीं होनी चाहिए। 

विद्युत वाहनों के उपयोग के यदि फ़ायदे हैं तो इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं, यथा अभी देश में पर्याप्त मात्रा में चार्जिंग पोईंट उपलब्ध नहीं हैं। हालाँकि इनकी स्थापना बढ़ी तेज़ी के साथ की जा रही है, परंतु पूरी संरचना को खड़ा करने में अभी समय लगेगा। बैटरी को चार्ज करने में समय काफ़ी अधिक लगता है और चार्ज की गई बैटरी भी कुछ ही घंटों तक चल पाती है अतः लम्बू दूरी की यात्रा विद्युत वाहनों से करना आसान नहीं है। हालाँकि, इस हेतु भी नई तकनीक का उपयोग कर कई देशों द्वारा सुधार किया जा रहा है। भारत में अभी विद्युत वाहनों के महँगे मॉडल ही उपलब्ध हैं।           

पिछले लगभग 6 माह के दौरान यह देखने में आया है की हमारे देश में पेट्रोल एवं डीज़ल वाहनो की बिक्री में काफ़ी कमी आयी है। इसके कई कारणों में यह भी एक मुख्य कारण के तौर पर बताया जा रहा है की देश के नागरिक विद्युत वाहनो की ओर आकर्षित हो रहे हैं अतः अपनी वाहनों की ख़रीदी के निर्णय को स्थगित कर रहे हैं। परंतु, भारत वाहनों के उपयोग के उद्देश्य से एक बहुत बड़ा बाज़ार है। अतः यहाँ पर पेट्रोल एवं डीज़ल वाहनों के स्थान पर नए विद्युत वाहनो को चलाना एक लम्बा समय लगने वाली प्रक्रिया होगी। क्योंकि, केवल नए वाहन ही विद्युत चालित वाहनों की श्रेणी के होंगे और इस तरह पेट्रोल एवं डीज़ल चालित वाहनों की माँग भी देश में बनी  ही रहने वाली है। और फिर, देश में कुल वाहनों का बाज़ार भी तो बढ़ेगा जिसकी आपूर्ति केवल विद्युत वाहनों द्वारा की जाना असम्भव सा कार्य दिखता है अतः आने वाले लम्बे समय तक देश में पेट्रोल एवं डीज़ल चालित वाहनों की भी भरपूर माँग बनी रहने की सम्भावना बनी रहने वाली है।