आवासीय क्षेत्र की अधूरी पड़ी परियोजनाओं को विशेष राहत
केंद्र सरकार में वित्तमंत्री माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमन ने देश में किफायती और मध्यम-आय वर्ग के लिए रुकी पड़ी आवासीय क्षेत्र की परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के उद्देश्य से, प्राथमिकता के आधार पर आर्थिक सहायता देने के लिये, विशेष विंडो कोष की स्थापना को मंजूरी दे दी है। पूरे देश के विभिन्न शहरों में अटकी पड़ी 1600 से अधिक आवासीय परियोजनाओं का काम शीघ्र पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये की आरंभिक राशि के साथ एक वैकल्पिक निवेश कोष बनाने का फैसला किया है। इस कोष के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार एक प्रायोजक के रूप में कार्य करेगी और सरकार की ओर से दी जाने वाली रकम रुपए 10,000 करोड़ तक की होगी। ये रकम उन डेवलपर्स को राहत देगी, जिनकी आवासीय परियोजनाएँ धन के अभाव में अधूरी पड़ी हैं एवं जिन्हें अपनी इन अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता है। इन आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक एस्क्रो खाता बनाकर धन राशि उसमें डाली जायेगी और जैसे-जैसे बिल्डर निर्माण कार्य पूरा करता जाएगा चरणबद्ध तरीके से उसे धन राशि रिलीज़ की जाती रहेगी। बिल्डर इस धन राशि का उपयोग सिर्फ और सिर्फ परियोजना का अधूरा काम पूरा करने के लिए ही कर सकेगा। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी एसबीआई कैप को दी गयी है।
किफ़ायती एवं मध्यम-आय वर्ग की आवासीय परियोजनाओं में उन श्रेणी की गृह इकाईयों को शामिल किया जाएगा जिनके कारपेट एरिया की साइज़ 200 स्क्वेर मीटर के ऊपर नहीं होगी एवं जिनकी क़ीमत मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में रुपए 2 करोड़ तक होगी, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु एवं अहमदाबाद में रुपए 1.5 करोड़ तक होगी एवं देश के शेष भाग में रुपए एक करोड़ तक होगी।
उक्त योजना के दायरे में केवल वे ही गृह परियोजनाएँ शामिल हो सकेंगी जिनके तुलन-पत्र में नेट वर्थ सकारात्मक होगी। ये गृह परियोजनाएँ किफ़ायती एवं मध्यम-आय वर्ग की श्रेणी के लोगों हेतु गृह इकाईयों का निर्माण कर रही होंगी। इन गृह परियोजनयों को पूरा करने हेतु धनराशि की कमी है एवं ये गृह परियोजनाएँ पूर्णता की और अग्रसर हो रही हैं। ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों एवं एनसीएलटी तथा रेरा में रजिस्टर हो गई परियोजनाओं को भी इस योजना का लाभ मिल सकेगा। जो गृह परियोजनाएँ अधूरी पड़ी हैं एवं जो गृह परियोजनाएँ शुरू नहीं हो पाई हैं, उन्हें क्रमानुसार बाद में इस योजना के दायरे में लाया जाएगा, अर्थात सबसे पहिले पूर्णता की ओर अग्रसर हो रही गृह परियोजनाओं को लाभ प्रदान किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि एक परियोजना के लिए अधिकतम रुपए 400 करोड़ की धन राशि ही उपलब्ध करायी जाएगी। इसके लिए परियोजना को वैकल्पिक निवेश कोष अथवा विशेष विंडो कोष से सहायता राशि प्राप्त करने हेतु निवेदन करना होगा। यह राशि 1508 गृह परियोजनाओं, जिनमे 4.58 लाख गृह इकाईयाँ शामिल हैं, को शीघ्र ही पूर्ण करने के उद्देश्य से उपयोग की जाएगी।
केंद्र सरकार का उक्त निर्णय गृह निर्माण के क्षेत्र में अधूरी पड़ी परियोजनाओं के लिए एक तरह से संजीवनी का कार्य करेगा। इससे केवल गृह निर्माण के क्षेत्र को ही नहीं ब्लिक़ इससे जुड़े अन्य उद्योगों यथा, सिमेंट, स्टील, आदि को भी लाभ होगा और इससे रोज़गार के कई अवसर भी सृजित होंगे। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक देश के सभी परिवारों को मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, अतः इस लक्ष्य को प्राप्त करने में भी अब आसानी होगी।
केंद्र सरकार के उक्त निर्णय से उत्साहित होकर कई वो लोग भी, जिनकी गृह इकाईयाँ उन परियोजनाओं में अटकी पड़ी हैं जिनके केसेज हाई कोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, उक्त योजना का लाभ प्रदान किए जाने की माँग कर रहे हैं। परंतु, कुछ ऐसी भी स्थितियाँ देखी गई हैं जिनमें डेवलपर्स के कुप्रबंधन के कारण गृह परियोजना असफल हुई है। क्योंकि, इन्होंने एक गृह परियोजना को पूर्ण किए बिना ही दूसरी कई अन्य गृह परियोजनाएँ प्रारम्भ कर दीं और पहिली गृह परियोजना के धन को अन्य गृह परियोजनाओं में उपयोग कर लिया। क्या इस तरह की गृह परियोजनाओं को भी उक्त योजना में शामिल किया जाना चाहिए, यह एक ज्वलंत सोच का मुद्दा है। हालाँकि RERA को लागू करने के बाद अब इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है। परंतु, पूर्व में कई परियोजनाएँ इसी कारण के चलते असफल हुईं हैं। दूसरे, कई डेवलपर्स ने नई परियोजनाएँ, बग़ैर यह आँकलन किए कि उस क्षेत्र में कितनी गृह इकाईयों की आवश्यकता है, प्रारम्भ कर दीं। उस क्षेत्र में गृह इकाईयों की पर्याप्त माँग न होने के कारण उनकी गृह इकाईयाँ समय पर नहीं बिकीं और इस प्रकार उनकी गृह परियोजनाएँ असफल हो गईं।
गृह निर्माण के क्षेत्र में पूर्व में बहुत ज़्यादा कमियाँ रहीं हैं। एक प्रकार से यह पूरा सेक्टर ही अव्यवस्थित एवं असंगठित सा था। अब RERA के लागू होने के बाद यह सेक्टर भी व्यवस्थित एवं संगठित हो रहा है और काफ़ी सुधार हो रहा है। पूर्व की सभी कमियों को एकदम से सुधरा नहीं जा सकता अतः धीरे धीरे ही पूर्व की कमियों को भी दूर किया जा सकेगा।
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