लगातार बढ़ रहा है देश का विदेशी मुद्रा भंडार
दिनांक 25 अक्टोबर 2019 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 180 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज करते हुए 44,260 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया। दिनांक 20 सितम्बर 2019 के बाद से लगातार 6 सप्ताह से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। दिनांक 26 अक्टोबर 2018 को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 39,210 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर था। अर्थात, इस एक वर्ष के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 5,050 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले 6 सप्ताहों से लगातार हो रही वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है। क्योंकि, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि कई कारणों के चलते हो सकती है। जैसे, देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक बढ़ रही है, देश के विदेशी व्यापार घाटे में कमी हो रही है, देश का निर्यात बढ़ रहा है, देश का आयात कम हो रहा है, देश के पूँजी बाज़ार में विदेशी निवेश बढ़ रहा है, आदि। उक्त वर्णित समस्त कारकों को देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत के तौर पर माना जा सकता है।
देश का विदेशी व्यापार घाटा अगस्त 2019 माह के 1,350 करोड़ अमेरिकी डॉलर से घटकर सितम्बर 2019 माह में 1,090 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया जो कि सितम्बर 2018 माह में 1,280 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था। अर्थात, देश का विदेशी व्यापार घाटा लगातार कम हो रहा है। दूसरी ओर, देश के शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेश की राशि वर्ष 2019 में दिनांक 5 नवम्बर 2019 तक 1,687 करोड़ अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा छू चुकी है और यह निवेश की राशि लगातार आगे बढ़ रही है। देश के शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेश के बढ़ने से शेयर बाज़ार भी अब लगातार नई ऊँचाईयों को छू रहा है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेन्सेक्स 40,000 के आँकड़े को पार करते हुए दिनांक 5 नवम्बर 2019 को 40,248 के स्तर पर पहुँच गया। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी भी 11,900 के स्तर को पार करते हुए दिनांक 5 नवम्बर 2019 को 11,917 के स्तर पर बंद हुआ। तीसरे, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार वृद्धि के चलते रुपया मज़बूत हो रहा है। दिनांक 5 नवम्बर 2019 को अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपए की क़ीमत मज़बूत होकर रुपए 70.69 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुँच गई। उक्त वर्णित सभी कारणों के चलते देश में तरलता की स्थिति में काफ़ी सुधार देखने में आ रहा है। दिनांक 5 नवम्बर 2019 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने तरलता समायोजन सुविधा के माध्यम से रुपए 2,35,100 करोड़ की तरलता को अवशोषित किया।
अभी आगे आने वाले समय में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में और तेज़ वृद्धि दृष्टिगोचर हो सकती है क्योंकि कई विदेशी कम्पनियों ने भारत में अपनी विदेशी निवेश सम्बंधी घोषणाएँ की हैं। जैसे, सऊदी अरब सरकार ने भारत में 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश की घोषणा की है। विश्व बैंक की निवेश इकाई, अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम, ने वर्ष 2022 तक भारत में अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम लागू करने हेतु, 600 करोड़ डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। वीएमवेयर, एक अमेरिकी प्रमुख साफ़्टवेयर कम्पनी ने 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। आईकीआ नामक कम्पनी भारत में अपने स्टोर्स स्थापित करने के लिए 61.20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करने जा रही है। वारबर्ग पिनकस नामक एम अमेरिकी कम्पनी, भारती एयरटेल की डीटीएच विंग में, 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश कर 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी ख़रीदने जा रही है। सऊदी आरमको नामक कम्पनी रीलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड में 7,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश कर 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी ख़रीदने जा रही है। साथ ही, कई अमेरिकी कम्पनियां, चीन एवं अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के चलते, चीन से अपनी विनिर्माण इकाईयों को भारत में स्थानांतरित करने की योजना बना रही हैं।
विभिन्न देशों को विदेशी मुद्रा में लिए गए ऋणों पर ब्याज एवं इन ऋणों की अदायगी हेतु तथा विदेशों से आयात की गई वस्तुओं के भुगतान हेतु विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है और इन्हीं कारणों के चलते विदेशी मुद्रा भंडार रखना पड़ता है। यह विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंकों में जमाराशि, विदेशी ट्रेज़री बिल और अन्य अल्पकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश, सोने के भंडार एवं विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि के रूप में रखा जाता है। विदेशी मुद्रा भंडार का निवेश अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इस प्रकार से किया जाना चाहिए ताकि देश को इस प्रकार के निवेश पर अधिक से अधिक आय की प्राप्ति हो सके। अब, भारत में भी चूँकि विदेशी मुद्रा भंडार नित नई उचाईयाँ छू रहा है अतः इसके उचित निवेश पर देश को अधिकतम आय हो सके इस बात का ध्यान रखना भी अति आवश्यक हो गया है।
अंत में अब यह कहा जा सकता है कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही वृद्धि, देश की अर्थव्यवस्था के मज़बूती के साथ आगे बढ़ने का संकेत है।
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