अटल भूजल योजना आज की आवश्यकता
भारत में कृषि से सम्बंधित पानी की कुल माँग का 65 प्रतिशत और घरों में पानी की कुल माँग का 85 प्रतिशत हिस्सा भूजल प्रदान करता है। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता शहरीकरण और बढ़ते औद्योगीकरण के कारण भूजल पर दबाव बहुत बढ़ता जा रहा है। आज देश के सीमित जल संसाधन ख़तरे में आ गए हैं। देश के ज़्यादातर हिस्सों में अधिकतम एवं अनियंत्रित तरीक़े से भूजल का दोहन होता रहा है एवं एक अनुमान के अनुसार देश के कई भागों में भूजल का स्तर प्रतिवर्ष एक मीटर से अधिक नीचे गहराता जा रहा है जिसके कारण देश के कुछ हिस्सों में भूजल की कमी की समस्या और इसकी गुणवत्ता गम्भीर चिंता का विषय बन गई है।
जैसा कि कहा जाता है कि जल ही जीवन है और पानी की एक एक बूँद क़ीमती है। पानी के बिना तो जीवन ही नहीं है। परंतु, देश में तेज़ी से हो रही जनसंख्या वृद्धि के साथ ही पानी की माँग भी उसी तेज़ी से बढ़ती जा रही है जबकि देश के भूजल की मात्रा में लगातार कमी होती चली जा रही है। इस प्रकार देश में जल संकट एक बड़ी चुनौती के रूप में विकराल रूप धारण करता जा रहा है।
एक और जानकारी जो जनमानस को झकझोर देती है वह यह है कि आज़ादी के 70 वर्षों के बाद भी देश के क़रीब 18 करोड़ घरों में से सिर्फ़ 3 करोड़ घरों में ही पाइप के माध्यम से शुद्ध जल पहुँचाने की व्यवस्था की जा सकी है। इस प्रकार, आज भी देश के शेष 15 करोड़ घरों को पाइप से शुद्ध जल पहुँचाए जाने की व्यवस्था की जाना बाक़ी है। अतः एक ओर तो भूजल के लगातार कम हो रहे स्तर को न केवल बनाए रखने बल्कि इस स्तर को ऊपर उठाने की ज़रूरत है वहीं दूसरी ओर 15 करोड़ घरों को पाइप के माध्यम से शुद्ध जल उपलब्ध कराया जाना है। दोनों ही बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य हैं।
दिनांक 25 दिसम्बर 2019 को देश के लोकप्रिय एवं स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन के शुभ अवसर पर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने उक्त वर्णित चुनौतियों से पार पाने के उद्देश्य से अटल भूजल योजना का शुभारम्भ किया। इस योजना को भूजल का बेहतर प्रबंधन करने एवं देश में भूजल के वर्तमान स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रारम्भ किया गया है। 5 वर्षों में पूरी की जाने वाली इस योजना को लागू करने में ग्रामीण स्तर पर स्थानीय लोगों को शामिल किया जाएगा एवं इस योजना के अंतर्गत उन इलाक़ों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहाँ भूजल स्तर बहुत ही नीचे चला गया है। देश में 23 प्रतिशत ब्लाक ऐसे हैं जहाँ भूजल का दोहन गंभीर रूप से किया जा रहा है।
अटल भूजल योजना का मुख्य मक़सद 7 राज्यों यथा गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के भूजल प्रबंधन में सुधार लाना है। इन प्रदेशों के 78 जिलों के 8350 ग्राम पंचायतों के लिए रुपए 6000 करोड़ के ख़र्च का प्रावधान इस योजना के अंतर्गत किया गया है। उक्त राशि को जुटाने हेतु 50 प्रतिशत राशि का विश्व बैंक से ऋण लिया जाएगा एवं शेष 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार के नियमित बजटीय सहायता से प्राप्त होगी। राज्यों को पूरी ऋण राशि और केंद्रीय मदद अनुदान के रूप में केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। चिन्हित किए गए ग्रामों में सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल प्रबंधन में सुधार लाने का प्रयास इस योजना के अंतर्गत किया जाएगा एवं वर्ष 2024 तक देश के हर घर तक जल पहुचाने के संकल्प को भी सिद्ध किया जाएगा। अतः भारत में पानी के प्रबंधन हेतु उठाया गया यह एक बहुत बड़ा क़दम कहा जा सकता है।
अटल भूजल योजना का शुभारम्भ करते हुए देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पानी का संकट एक परिवार के रूप में, एक नागरिक के रूप में, हमारे लिए चिंताजनक तो है ही एक देश के रूप में भी ये विकास को प्रभावित करता है। आज न्यू इंडिया को जल संकट की हर एक परिस्थिति से निपटने को तैयार करना आवश्यक है। इसके लिए केंद्र सरकार 5 स्तर पर एक साथ काम कर रही है - (1) पानी से जुड़े कई विभाग हैं जो कि एकाकी रूप में कार्य कर रहे थे, इनका एकाकीपन तोड़कर इन्हें एकीकृत रूप दिया गया है ताकि इनकी दक्षता में सुधार हो; (2) भारत जैसे विविधता भरे देश में हर क्षेत्र में ज़मीनी स्तर की स्थिति को देखते हुए ही विभिन्न योजनाओं का स्वरूप तय करने पर ज़ोर दिया जा रहा है; (3) जो पानी देश में उपलब्ध होता है उसके सही संचयन और वितरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है; (4) पानी की एक एक बूँद का सही इस्तेमाल हो, पानी की रीसाइक्लिंग हो, इस सिद्धांत को विभिन्न योजनाओं में प्रधानता दी जा रही है; और (5) देश के नागरिकों में इन योजनाओं के बारे में जागरूकता और उनकी जनभागीदारी भी सुनिशचित की जा रही है। केंद्र सरकार, अगले 5 वर्षों तक देश के सभी शेष बचे 15 करोड़ घरों तक पाइप के माध्यम से शुद्ध जल पहुँचाया जाने के मक़सद से कार्य कर रही है। इसके लिए अगले 5 सालों में केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर 3.50 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा ख़र्च करने जा रही हैं।
जैसा कि ऊपर वर्णित है कि जीवन के लिए जल बहुत आवश्यक है और जल का उतना ही उपयोग किया जाय जितना ज़रूरी है। ताकि, भविष्य की पीढ़ियाँ ही नहीं बल्कि वर्तमान पीढ़ी भी जल की उपलब्धता से वंचित न हो पाए। आज दुनिया समेत भारत में जल संकट एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अतः वर्षा जल के संचयन के लिए, वैकल्पिक फ़सलों को उगाने के लिए एवं माइक्रो सिंचाई के लिए देश के किसानों को जागरूक करना अति आवश्यक हो गया है। इसलिए, अटल भूजल योजना का नेत्रत्व ही देश के किसानों को देना होगा।
अटल भूजल योजना के अंतर्गत पानी के इस्तेमाल के स्वरूप को दो प्रकार से बेहतर किया जाएगा। प्रथम, स्थायी भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत प्रबंधनों को मज़बूत किया जाएगा। इसमें नेटवर्क निगरानी, क्षमता निर्माण में सुधार और जल उपयोगकर्ता संघों को मज़बूत करना शामिल है। दूसरे, डेटा विस्तार और जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना शामिल है। भूजल प्रबंधन में अच्छा काम करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी। भूजल प्रबंधन के लिए स्थानीय ग्राम पंचायतों से चुने हुए प्रतिनिधियों एवं किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था भी की जाएगी। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकारों की जल संचय योजनाओं के साथ तालमेल बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही, किसानों की आय भी दुगनी की जा सकेगी। योजना पर हो रहे कुल ख़र्च का लगभग एक तिहाई हिस्सा भूजल के क्षमता संवर्धन पर ख़र्च किया जाएगा तथा इस प्रकार पानी की आपूर्ति बढ़ाने के साथ ही पानी की माँग में किस प्रकार कमी की जाय, इसके लिए भी प्रयास किए जाएँगे।
शुद्ध एवं निर्मल जल को देश के सभी घरों तक पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार कितनी गम्भीरता से कार्य कर रही है यह इस बात से भी सिद्ध होता है कि केंद्र में अलग से एक जल शक्ति विभाग का गठन करने के साथ ही, देश में जल शक्ति अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान के अंतर्गत रुपए 3.50 लाख करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। इसके बाद जल क्रांति अभियान प्रारम्भ किया गया और अब अटल भूजल योजना का शुभारम्भ किया गया है। केंद्र सरकार का प्रयास है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत ज़्यादा से ज़्यादा गावों के लोगों को अधिकार देकर उन्हें आत्म निर्भर बनाया जाय। जल जीवन मिशन के लिए प्रत्येक गाँव में एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी, जो गाँव के स्तर पर कार्य योजना बनाएगी। इस कमेटी में कम से कम 50 प्रतिशत महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
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