वापिस पटरी पर आती भारतीय अर्थव्यवस्था: कुछ संकेत 

देश में जारी लॉकडाउन के तीसरे एवं चौथे चरण एवं अनलॉक के प्रथम चरण के दौरान केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक गतिविधियों के सम्बंध में प्रदान की गई छूट के बाद देश में आर्थिक गतिविधियों के चालू होने के कारण मई माह में डिजिटल भुगतान के लेनदेन में भारी तेज़ी देखने में आई है। जबकि अप्रेल माह में डिजिटल भुगतान के लेनदेन में भारी कमी दर्ज की गई थी।   

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार, मई माह में एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) मंच (platform) पर 2.18 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन हुए थे जो कि मार्च माह में हुए 2.06 लाख करोड़ रुपए की राशि के लेनदेन से कहीं अधिक है। वहीं लेनदेन की संख्या भी मार्च माह में हुई लेनदेन की संख्या 125 करोड़ के आसपास अर्थात मई माह में 123 करोड़ की रही। जबकि अप्रेल माह में लेनदेन की संख्या 99 करोड़ एवं लेनदेन की राशि 1.51 लाख करोड़ रही थी। इस प्रकार मई माह में लेनदेन की राशि में 45 प्रतिशत की एवं लेनदेन की संख्या में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 

इसी प्रकार, तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) मंच पर भी लेनदेन की संख्या 36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए अप्रेल माह के 12.25 करोड़ से बढ़कर मई माह में 16.69 करोड़ पर पहुँच गई एवं लेनदेन की राशि भी 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए अप्रेल माह के 1.22 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर मई माह में 1.69 लाख करोड़ रुपए पर पहुँच गई। जबकि मार्च माह में लेनदेन की संख्या 21.68 करोड़ एवं लेनदेन की राशि 2.01 लाख करोड़ की रही थी। 

यहाँ यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) एवं एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) मंच पर लेनदेन की राशि 2 लाख रुपए तक ही हो सकती है। अतः यह कहा जा सकता है कि डिजिटल भुगतान के लेनदेन में छोटे व्यापारियों एवं लघु उद्योग के साथ साथ सामान्य जनता की भी काफ़ी अच्छी संख्या में भागीदारी रही है।

देश में वाहनों की आवाजाही में भी काफ़ी सुधार देखने में आया है। मई माह में टोल के संग्रह में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। फ़ास्टेग योजना के अंतर्गत नाकों पर टोल टैक्स के रूप में इकट्ठा की गई राशि में भारी वृद्धि देखने में आई है। इन नाकों से निकलने वाले वाहनों की संख्या 400 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 5.52 करोड़ पर पहुँच गई है। जबकि, टोल टैक्स की राशि 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 1142 करोड़ रुपए की रही है। 

देश में कई विनिर्माण इकाईयों ने भी मई माह से अपना उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है। विशेष रूप से स्टील एवं सीमेंट क्षेत्र में कई कंपनियां लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए अपनी उत्पादन क्षमता का 60 से 70 प्रतिशत तक उपयोग करने लगी हैं। ध्यान रहे स्टील एवं सीमेंट क्षेत्र की कम्पनियों का उत्पादन लॉक डाउन के चलते 80 प्रतिशत से भी अधिक गिर गया था। अनलॉक के प्रथम चरण के लागू होने के बाद तो स्टील एवं सीमेंट की माँग में और भी अधिक वृद्धि होने की सम्भावना है क्योंकि मार्च माह में केंद्र सरकार ने 46,500 करोड़ रुपए के 1885 टेंडर जारी किए थे। इनमें से 72 प्रतिशत टेंडर जल एवं सिंचाई परियोजनाओं, भवन निर्माण एवं सड़क निर्माण से सम्बंधित थे। अतः स्टील एवं सीमेंट की माँग में और भी अधिक वृद्धि की सम्भावना है। इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने MGNREGA योजना के अंतर्गत भी राज्य सरकारों को राशि जारी कर दी है, जिसके चलते ग्रामीण स्तर पर भी सड़क निर्माण एवं सिंचाई कार्यों के कार्य उक्त योजना के अंतर्गत चलाए जा रहे हैं, जिसके कारण भी स्टील एवं सीमेंट की माँग बढ़ेगी।

अभी हाल ही में टाटा स्टील कम्पनी की विनिर्माण इकाई में उत्पादन क्षमता का 70 प्रतिशत तक उपयोग किया जा रहा है, वहीं जेएसडब्ल्यू स्टील की विनिर्माण इकाई में उत्पादन क्षमता का 85 तक उपयोग हो रहा है। जेएसपीएल कम्पनी एवं आरसेलर मित्तल निप्पो स्टील इंडिया कम्पनी  की विनिर्माण इकाईयों में पूरी उत्पादन क्षमता का उपयोग किया जा रहा है।   

विदेशी मुद्रा भंडार में भी लगातार वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है, जो दिनांक 22 मई 2020 को 49000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। अप्रेल एवं मई 2020 माह के दौरान देश में लॉकडाउन लागू था, इसके बावजूद अप्रेल एवं मई माह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 1500 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है। देश के पूँजी बाज़ार में भी विदेशी निवेशकों का विश्वास वापिस आता दिख रहा है, जिसके कारण दिनांक 3 जून 2020 को सेन्सेक्स सूचकांक 34100 का आँकड़ा पार कर गया है जबकि निफ़्टी सूचकांक 10060 का आँकड़ा पार कर गया है। 

देश में मोदी सरकार द्वारा सही समय पर अनुकूल निर्णय लिए जाने के कारण देश में व्यापारिक गतिविधियाँ शीघ्रता से सामान्य स्थिति प्राप्त करती जा रही हैं।