विकसित अधोसंरचना से अर्थव्यवस्था के विकास की गति तेज होगी 


किसी भी विकासशील देश में विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से विकसित अधोसंरचना का होना बहुत जरूरी है। कई बार तो विकसित अधोसंरचना के चलते ही देश को विकसित श्रेणी में गिन लिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से भारत में भी अधोसंरचना में क्रांतिकारी सुधार किए जाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस मद पर खर्च बढ़ाने के उद्देश्य से आम बजट में भी भारी वृद्धि की जा रही है। उम्दा अधोसंरचना से न केवल कार्यक्षमता में सुधार होता है बल्कि समय एवं खर्चों में भी बचत होती है।        


केंद्र सरकार द्वारा अक्टोबर 2021 में गति शक्ति नामक मास्टर प्लान का शुभारम्भ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत भारत में सड़क, रेल, बंदरगाह, विमानतल, यातायात, जलमार्ग, वायुमार्ग, लाजिस्टिक अधोसंरचना का तेज गति से विकास किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत, आने वाले 25 वर्षों के दौरान, भारत की अधोसंरचना को विकसित अवस्था में ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है एवं इस इस योजना पर महत्वाकांक्षी निवेश की योजना तैयार की गई है। जिसमें शामिल है, यातायात के विभिन्न साधनों को आपस में जोड़ने पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश किए जाने की योजना ताकि यातायात के इन साधनों की कार्यक्षमता में भारी सुधार हो। 


केंद्र सरकार द्वारा पिछले 7 वर्षों के दौरान देश की अधोसंरचना को विकसित श्रेणी में लाए जाने हेतु काफी प्रयास किए गए हैं, जिसके कारण आज भारतीय रेल विश्व में सर्वाधिक लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने ले जाने वाला एक माध्यम बन गया है। रेल आज भारत की जीवन रेखा बन गई है। भारतीय रेलमार्ग का नेटवर्क आज पूरे एशिया एवं विश्व में सबसे बड़ा है। इसे अब न केवल आधुनिक बनाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं बल्कि रेल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक दौड़ाने की रफ्तार को बढ़ाए जाने के प्रयास भी किए जा रहे है ताकि इस माध्यम से यात्रा करने वाले लोगों के समय की बचत हो। आज भारतीय रेल में मेट्रो रेल के माध्यम से क्लीन इनर्जी के उपयोग का विस्तार किया जा रहा है एवं रेलमार्ग  का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण किए जाने पर तेजी से कार्य हो रहा है। विभिन्न प्लेटफार्म को विश्वस्तरीय सुविधाओं युक्त बनाया जा रहा है। वर्ष 2020-21 में 6015 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण का कार्य सम्पन्न हुआ जो कि एक रिकार्ड है। इसके साथ ही, 1110 किलोमीटर का नया विशेष रेलमार्ग केवल सामान को लाने ले जाने हेतु बनाया गया है एवं 1900 किलोमीटर का नया रेलमार्ग भी बनाया गया है। भारत में सरकारी क्षेत्र के संस्थानों में भारतीय रेल सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने वाला संस्थान है। रेलगाड़ियों को दिल्ली-हावड़ा एवं दिल्ली-मुंबई मार्गों पर दौड़ाने की रफ्तार को 160 किलोमीटर प्रतिघंटा एवं अन्य महत्वपूर्ण मार्गों पर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा किए जाने का कार्य भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है।  भारतीय रेल आत्म निर्भर भारत का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी बन गया है क्योंकि आज रेल में उपयोग होने वाले समस्त उत्पादों में से लगभग 98 प्रतिशत उत्पाद भारत में ही निर्मित किए जाने लगे हैं। वित्तीय वर्ष 2030 तक भारतीय रेल सौर ऊर्जा के उपयोग को 100 प्रतिशत तक ले जाकर शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाला संस्थान बन जाएगा।


पूरे विश्व में भारत का सड़क नेटवर्क दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क गिना जाता है। भारत में प्रतिदिन 37 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण कार्य सम्पन्न किया जा रहा है, जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है। भारतमाला योजना के अंतर्गत 34,800 किलोमीटर नए राजमार्ग का निर्माण कार्य वर्ष 2022 तक पूर्ण कर लिया जाएगा एवं 48,000 किलोमीटर नए राजमार्ग  का निर्माण कार्य वर्ष 2024 तक पूर्ण कर लिए जाएगा।  वित्तीय वर्ष 2020-21 में 13,327 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य सम्पन्न किया गया था एवं वर्ष 2019-20 में 10,327 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ था।  हाल ही में भारतीय संसद में पेश किए गए आम बजट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 25,000 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा जो कि अभी तक किसी भी वर्ष में जोड़े गए नए राष्ट्रीय राजमार्ग में अधिकतम होगा। देश के समस्त गावों को शहरी सड़कों के साथ जोड़ा जा रहा है। प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे फेज को वर्ष 2019 में प्रारम्भ कर दिया गया है जिसके अंतर्गत 1.25 लाख किलोमीटर रोड का निर्माण कर ग्रामीण इलाकों को सड़क के माध्यम से शहरों से जोड़ दिया जाएगा।   


पूरे विश्व में मात्रा की दृष्टि से लगभग 95 प्रतिशत एवं राशि की दृष्टि से 70 प्रतिशत व्यापार समुद्रीय यातायात के माध्यम से होता है। प्राचीनकाल से ही भारत में स्थानीय एवं विदेशी व्यापार में समुद्रीय यातायात का  अतुलनीय योगदान रहता आया है। भारत में भी वर्ष 2015 में सागरमाला समृद्धि योजना चालू की गई है जिसके अंतर्गत 7,500 किलोमीटर लम्बी समुद्रीय सीमा को, समुद्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, विकसित किया जा रहा है।  


वर्ष 2014 के बाद से भारतीय बंदरगाहों की क्षमता में 66 प्रतिशत से अधिक का विस्तार किया गया है एवं इस सम्बंध में एवं बंदरगाहों के नवीनीकरण पर 236 प्रोजेक्ट पर 1.2 लाख करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है। सागरमाला समृद्धि योजना के अंतर्गत 13 प्रोजेक्ट को पूर्ण कर लिया गया है एवं 14 प्रोजेक्ट पर द्रुत गति से कार्य चल रहा है। इन बंदरगाहों पर आवाजाही में 18 प्रतिशत की वृद्धि पिछले 7 वर्षों के दौरान दर्ज की गई है। बंदरगाहों पर व्यापार की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की रैंकिंग वर्ष 2014 की 132वीं से बढ़कर वर्ष 2021 में 68वीं रैंकिंग हो गई है। वर्ष 2030 तक भारतीय बंदरगाहों का अधिकतम उपयोग कर देशी एवं विदेशी व्यापार की भागीदारी को बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।   


देश में अधोसंरचना का तेज गति से विकास करने हेतु केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा दिनांक 1 फरवरी 2022 को देश की संसद में प्रस्तुत किए गए आम बजट में केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में किए जाने वाले पूंजीगत खर्चों में अधिकतम 35.4 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसे वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारी भरकम राशि अर्थात 7.50 लाख करोड़ रुपए तक ले जाया गया है। यह आम बजट में किए जा रहे कुल खर्चों का 19 प्रतिशत है। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 के आम बजट में 5.54 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था, जो कुल खर्चों का 16 प्रतिशत रहा था। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 के आम बजट में किए गए कुल खर्चों 34.83 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान के बाद अब वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में कुल खर्चों को बढ़ाकर 39.45 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।