भारत विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा
वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही (अप्रेल-जून 2024) में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर के आंकडें जारी कर दिए गए हैं एवं हर्ष का विषय है कि भारत अभी भी विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही (अप्रेल-जून 2023) में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज हुई थी तथा पिछली तिमाही (जनवरी मार्च 2024) में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत की रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रेल-जून 2024 तिमाही में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। पिछले लगातार 5 तिमाही के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में यह सबसे कम वृद्धि दर है। हालांकि चीन में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज हुई है तथा विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर भारत की तुलना में अभी भी बहुत कम बनी हुई है।
भारत में वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में कम हुई वृद्धि दर के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण बताए गए है। प्रथम तो इस तिमाही में लोक सभा चुनाव सम्पन्न हुए हैं जिसके चलते आम जनता ने अपने खर्चे को रोक रखा था। साथ ही, लोक सभा चुनाव के समय केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा कोई भी बड़ा निर्णय नहीं लिया जा सकता है जिसके चलते सरकारों को अपने खर्चों को नियंत्रण में रखना होता है, इससे देश की विकास दर पर प्रभाव पड़ता है। दूसरे, इस तिमाही के दौरान देश में अत्यधिक गर्मी के चलते पर्यटन एवं कृषि के क्षेत्र में विकास दर अत्यधिक कम हो गई है। कृषि के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में वृद्धि दर केवल 2 प्रतिशत की रही है जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 3.7 प्रतिशत की रही थी। परंतु, वित्तीय वर्ष 2024-25 की द्वितीय तिमाही में मानसून ने लगभग पूरे देश में तेज गति पकड़ ली है अतः विभिन्न फसलों के बुआई के क्षेत्र में अच्छी वृद्धि दर्ज हुई है इसलिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के द्वितीय एवं तृतीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर एवं अक्टोबर-दिसम्बर 2024) में कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर के आकर्षक रहने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। खरीफ मौसम की फसल के साथ ही अब रबी मौसम की फसल में भी अच्छी वृद्धि दर रहने की सम्भावना है क्योंकि देश के विभिन्न जलाशयों में पानी के संचयन में भारी वृद्धि दर्ज हुई है, जिसे कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकेगा। इन्हीं कारणों के चलते वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी मूडीज ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत के आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान को बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है, मूडीज ने पहिले यह अनुमान 6.8 प्रतिशत का लगाया था।
विनिर्माण इकाईयों द्वारा किए गए उत्पादन में अप्रेल-जून 2024 की तिमाही में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी। निर्माण के क्षेत्र में 8.6 प्रतिशत एवं सेवा के क्षेत्र में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। ट्रेड, ट्रान्स्पोर्ट, होटल, टेलिकॉम की ग्रोथ 5.7 प्रतिशत की रही है। विनिर्माण, निर्माण एवं कोर इंडस्ट्री को मिलाकर बनने वाले सेकेण्डरी सेक्टर में वृद्धि दर बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में यह 5.9 प्रतिशत की रही थी जो वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में बढ़कर 8.4 प्रतिशत की हो गई है। यह वृद्धि दर देश में निजी उपभोग के बढ़ने की ओर इशारा कर रही है।
विश्व में बहुत लम्बे समय से चल रहे दो युद्धों के बीच भारत की उक्त आर्थिक विकास दर अच्छी विकास दर ही कही जाएगी। एक युद्ध तो रूस यूक्रेन के बीच चल रहा है एवं दूसरा इजराईल एवं हम्मास के बीच चल रहा है। इजराईल के साथ युद्ध में तो लेबनान एवं ईरान भी कूदने को तैयार बैठें हैं। साथ ही, यूरोपीयन देशों में कुछ देशों की आर्थिक विकास दर में कमी होती दिखाई दे रही है। जापान एवं अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं में भी विकास दर में कमी आंकी गई है। जर्मनी एवं चीन भी अपनी अपनी अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर को बढ़ाने हेतु संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं। जापान एवं जर्मनी में यदि विकास की रफ्तार कम होती है एवं भारत की आर्थिक विकास दर यदि इसी रफ्तार से आगे बढ़ती है तो शीघ्र ही भारत, जापान एवं जर्मनी की अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अभी भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जापान एवं जर्मनी ही भारतीय अर्थव्यवस्था से थोड़ा आगे बने हुए हैं।
अर्थ से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत सराहनीय प्रगति करता हुआ दिखाई दे रहा है। जैसे -
(1) पिछली तिमाही में भारत के निर्यात में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि वैश्विक स्तर पर यह वृद्धि दर केवल एक प्रतिशत की रही है।
(2) बैंकों द्वारा प्रदान किए जा रहे ऋणों में लगातार वृद्धि दर 15 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है, विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में ऋण की मांग (जुलाई 2024 में 18.1 प्रतिशत की वृद्धि दर) एवं विनिर्माण के क्षेत्र में ऋण की मांग (जुलाई 2024 में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर) बनी हुई है। इससे देश की अर्थव्यवस्था के तेज गति से आगे बढ़ने के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे हैं।
(3) वित्तीय वर्ष 2024-25 में जुलाई 2024 माह के अंत तक समाप्त अवधि के दौरान केंद्र सरकार की कुल आय 10.23 लाख करोड़ रुपए की रही है। यह वित्तीय वर्ष 2024-25 के आय के कुल बजट का 31.9 प्रतिशत है और इसमें 7.15 लाख करोड़ रुपए की करों की मद से आय तथा 3.01 लाख करोड़ रुपए की अन्य मदों से आय भी शामिल है।
(4) इस दौरान केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में रहा है एवं यह 2.77 लाख करोड़ रुपए तक सीमित रहा है जो वित्तीय वर्ष 2024-25 के कुल बजटीय घाटे का केवल 17.2 प्रतिशत ही है।
(5) इसी प्रकार विदेशी मुद्रा भंडार भी 23 अगस्त 2024 को समाप्त हुए सप्ताह में 702 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 68,168 करोड़ अमेरिकी डॉलर के नए रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। पिछले सप्ताह में भी विदेशी मुद्रा भंडार 454 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 67,466 करोड़ अमेरकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था।
(6) जुलाई 2024 माह में 8 कोर सेक्टर (कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट, उर्वरक, इस्पात, सिमेंट एवं बिजली उत्पादन के क्षेत्र) में वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत की रही है जो जून 2024 माह में 5.1 प्रतिशत की रही थी।
(7) भारत में प्रत्येक 5 दिनों में एक बिलिनायर (भारतीय नागरिक जिसके पास 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की सम्पत्ति है) बन रहा है। 2014 में भारत में 109 बिलिनायर थे जो आज बढ़कर 334 हो गए हैं। जिनकी कुल सम्पत्ति 1.9 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की है जो सऊदी अरब के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक है। इसी प्रकार, भारत के बिलिनायर की सम्पत्ति भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद के आधे से भी अधिक है। भारत की अर्थव्यवस्था तो प्रत्येक तिमाही में बढ़ रही है परंतु यदि यह सम्पत्ति केवल बिलिनायर की संख्या बढ़ाने के रूप में बढ़ रही है तो यह उचित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इससे तो देश में अमीरों एवं गरीबों के बीच में असमानता की खाई भी बढ़ती जा रही है और इस खाई को शीघ्र ही पाटने के प्रयास किए जाने चाहिए।
वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में कम हुई आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के उद्देश्य से क्या अब भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कमी कर सकता है। अब यह प्रश्न अर्थशास्त्रियों के मन में उभर रहा है। इस बीच अमेरिका में भी फेड रिजर्व के अध्यक्ष ने अमेरिका में ब्याज दरों को सितम्बर 2024 माह में कम करने के स्पष्ट संकेत दिए हैं।
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