जीडीपी ग्रोथ में आ रही कमी     


पिछली कुछ तिमाहीयो से देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में लगातार कमी देखने में आ रही है। हालाँकि, यह कमी केवल भारत ही नहीं परंतु विश्व के अन्य प्रमुख लगभग सभी देशों में देखने में आई है और इसके मुख्य कारणों में अमेरिका और चीन के बीच लगातार जारी व्यापार सम्बंधी तनातनी भी है। 

हाल ही में जारी की गई भारतीय स्टेट बैंक रीसर्च टीम की एक रिपोर्ट के अनुसार, समग्र अग्रणी संकेतक का, जो 33 प्रमुख सकेतकों का एक समूह है, वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में, वृद्धि दर प्रतिशत 45 से कम होकर 26 हो गया है। अतः यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जो वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत थी, घटकर वित्त वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में 5.6 प्रतिशत रह सकती है। यह ऑटोमोबाइल क्षेत्र की वृद्धि दर में आई कमी,  सरकारी ख़र्च में कमी, एयर ट्रैफ़िक में कमी, आदि कारणों के चलते हो सकता है। 

ऑटोमोबाइल क्षेत्र की वृद्धि दर में आई कमी का मुख्य कारण, तरलता में आई कमी के चलते ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा ऋण मुहैया कराने में की गई कटौती, ग्रामीण क्षेत्र में वाहन की माँग में कमी, बीमा लागत में वृद्धि, पुरानी कारों के उपयोग में आई तेज़ी, आदि हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा, वातावरण में गैसों की कमी करने के उद्देश्य से, वर्ष 2020 से यूरो-4 ईंधन निकासी नीति से, यूरो-6 इंधन निकासी नीति मानदंड पर स्थानांतरित करने सम्बंधी की गई घोषणा की वजह से उपभोक्ता नए वाहन ख़रीदने से पहरेज कर रहे हैं और ऊबर या ओला टेक्सियों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। 

उपरोक्त के अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में सकल घरेलू कर राजस्व 4 लाख करोड़ रुपए का रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में की गई राजस्व वसूली से केवल 1.4 प्रतिशत ही अधिक है। इस बीच वित्त वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में कुल व्यय 7.21 लाख करोड़ रुपए थे, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में किए गए कुल व्यय से मात्र 2 प्रतिशत ही अधिक है। उल्लेखनीय है कि पूँजीगत व्यय में वित्त वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में 27 प्रतिशत की कमी आई है। 

केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में आ रही कमी को बहुत ही गम्भीरता से लिया है एवं देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि तेज़ करने के उद्देश्य से कई उपायों पर विचार किया जा रहा है। देश के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल क़िले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए अपने उदबोधन में कहा है कि  आगे आने वाले समय में देश में रुपए 100 लाख करोड़ का निवेश, आधुनिक आधारिक संरचना को विकसित करने हेतु, किया जाएगा। आधुनिक आधारिक संरचना में भारतमाला परियोजना, सागरमाला परियोजना, आधुनिक रेल्वे, आधुनिक पोर्ट, विश्व स्तर के शिक्षण संस्थान, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल आदि शामिल होंगे। साथ ही, प्रत्येक घर में जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन की घोषणा भी की गई एवं इस मद में आगे आने वाले समय में रुपए 3.50 लाख करोड़ ख़र्च करने की घोषणा प्रधान मंत्री महोदय द्वारा की गई। इसके साथ ही, देश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से प्रधान मंत्री महोदय ने कई अन्य उपाय भी सुझाए हैं। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने भी उद्योग जगत के विभिन्न दिगज्जों एवं बैंकों के उच्च-अधिकारियों से चर्चा की है एवं कुछ अन्य उपायों की घोषणा भी शीघ्र ही सम्भावित है। 

उपरोक्त के अतिरिक्त, दिनांक 7 अगस्त 2019 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) को, 35 आधार अंकों से कम कर, 5.75 प्रतिशत से घटाकर 5.40 प्रतिशत पर तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया है। फ़रवरी 2019 से लगातार चौथी बार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो दर में 110 आधार अंकों की कमी की जा चुकी है। अतः अब अपेक्षा है की विभिन्न बैंक भी अपने नए ऋणों पर ब्याज की दरों में काफ़ी कमी करेंगे। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा तो, पिछले कुछ समय में, अपने रेपो आधारित उधार दर में 85 आधार अंकों की कमी की जा चुकी है। 

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की तरलता की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से बैंकों द्वारा इन कम्पनियों को प्रदान किए जाने वाले ऋण की सीमा को बढ़ा दिया गया है। बैंक अब अपने टायर-एक की पूँजी के 15 प्रतिशत के स्थान पर 20 प्रतिशत तक की राशि का ऋण प्रत्येक ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनी को प्रदान कर सकेंगे। साथ ही, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण का प्रवाह बढ़ाने के उद्देश्य से ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा प्रत्येक कृषक को पूँजीगत ऋण (रुपए 10 लाख की राशि तक), सूक्ष्म एवं लघु उद्यमी को रुपए 20 लाख की राशि तक एवं होम ऋण रुपए 20 लाख की राशि तक के प्रदान किए गए ऋणों के विरुध इन कम्पनियों को विभिन्न बैंक ऋण प्रदान कर सकते है तथा ये ऋण इन बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में प्रदान किए गए ऋण की श्रेणी में गिने जाएँगे। उक्त निर्णय से उक्त क्षेत्रों से निर्यात के बढ़ने के साथ साथ रोज़गार के भी कई नए अवसर प्रतिपादित होंगे।  

साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा भी भारतीय बैंकों द्वारा, ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा प्रदत्त, ऋणों को ख़रीदने हेतु नियमों को जारी कर दिया है। केंद्र सरकार ने रुपए एक लाख करोड़ तक के इस तरह के ऋणों की ख़रीदी पर बैंकों को गारंटी प्रदान करने की घोषणा वर्ष 2019-20 के बजट में की थी। इससे भी ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की तरलता में सुधार होगा और ये कम्पनियाँ होम ऋण एवं ऑटो ऋण पुनः प्रदान करना शुरू कर देंगे।   

दक्षिण-पश्चिमी मानसून में भी गति आ रही है एवं यह अब लम्बी अवधि के औसत वर्षा से केवल 6 प्रतिशत कम रह गया है तथा देश में कुल 36 उप-विभागों में से 25 उप-विभागों में सामान्य या अधिक वर्षा हो चुकी है। इससे किसानों द्वारा की जा रही बुआई की गतिविधि में भी बहुत तेज़ी आई है। अच्छी फ़सल का सीधा फ़ायदा किसानों को होगा, जिनके हाथों में ख़र्च करने हेतु धनराशि पहुँचेगी जिससे वस्तुओं की माँग में वृधि होगी एवं उद्योग जगत के उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी। देश में इस समय अधिशेष तरलता की स्थिति बनी हुई है क्योंकि दिनांक 6 अगस्त 2019 को भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रिवर्स रेपो विंडो में विभिन्न बैंकों की रुपए 2 लाख करोड़ की राशि जमा थी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एवं थोक मूल्य सूचकांक आधारित महँगाई की दर पर भी लगातार अंकुश बनाए रखने में सफलता हासिल की गई है। महँगाई की दर में कमी का सीधा फ़ायदा ग़रीब वर्ग एवं मध्यम वर्ग के नागरिकों को होता है। 

हाल ही में, बजट के दौरान एवं इसके बाद, केंद्र सरकार द्वारा देश में आर्थिक सुधारों हेतु कई निर्णय लिए गए हैं एवं लिए जा रहे हैं। इनका प्रभाव भी देश की अर्थव्यवस्था को और आगे ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।