अर्थव्यवस्था को गति देने हेतु रियायतों/उपायों की घोषणा
पिछली कुछ तिमाहीयो से देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में कुछ कमी देखने में आ रही है। हालाँकि, यह कमी केवल भारत ही नहीं परंतु विश्व के अन्य प्रमुख लगभग सभी देशों में देखने में आई है और इसके मुख्य कारणों में अमेरिका और चीन के बीच लगातार जारी व्यापार सम्बंधी तनातनी भी है। विश्व में आर्थिक क्षेत्र में आई परिवर्तनशीलता को देखते हुए हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा, पूरे विश्व की आर्थिक विकास दर वर्ष 2018 में 3.6 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019 में घटकर 3.2 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है। साथ ही, विकसित देशों की आर्थिक विकास दर वर्ष 2018 में 2.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019 में 1.9 प्रतिशत तथा विकासशील देशों की आर्थिक विकास दर वर्ष 2018 में 4.5 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019 में 4.1 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है, जबकि भारत के लिए विकास दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहने की सम्भावना जताई गई है।
भारत में तो उक्त कारण से यह भी कहा जा रहा है की भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब हालात में पहुँच गई है एवं भारत वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। परंतु, यह सोच संभवत सही नहीं है। भारत की आर्थिक विकास दर पिछले कुछ तिमाहीयों में कम ज़रूर हुई है किंतु भारत अभी भी विश्व के मुख्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सबसे तेज़ गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है। फिर भी, कुछ क्षेत्रों यथा ऑटोमोबाइल क्षेत्र की वृद्धि दर में तीव्र कमी दिखाई दी है। इसका मुख्य कारण, तरलता में आई कमी के चलते ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा ऋण मुहैया कराने में की गई कटौती, ग्रामीण क्षेत्र में वाहन की माँग में कमी, बीमा लागत में वृद्धि, पुरानी कारों के उपयोग में आई तेज़ी, आदि हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा, वातावरण में गैसों की कमी करने के उद्देश्य से, वर्ष 2020 से यूरो-4 ईंधन निकासी नीति से, यूरो-6 इंधन निकासी नीति मानदंड पर स्थानांतरित करने सम्बंधी की गई घोषणा की वजह से उपभोक्ता नए वाहन ख़रीदने से पहरेज कर रहे हैं और ऊबर या ओला टेक्सियों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में आ रही कमी को बहुत ही गम्भीरता से लिया है एवं देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि तेज़ करने के उद्देश्य से कई उपायों पर विचार किया जा रहा है। देश के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल क़िले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए अपने उदबोधन में कहा है कि आगे आने वाले समय में देश में रुपए 100 लाख करोड़ का निवेश, आधुनिक आधारभूत संरचना को विकसित करने हेतु, किया जाएगा। आधुनिक आधारभूत संरचना में भारतमाला परियोजना, सागरमाला परियोजना, आधुनिक रेल्वे, आधुनिक पोर्ट, विश्व स्तर के शिक्षण संस्थान, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल आदि शामिल होंगे। साथ ही, प्रत्येक घर में जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन की घोषणा भी की गई है एवं इस मद में आगे आने वाले समय में रुपए 3.50 लाख करोड़ ख़र्च करने की घोषणा भी प्रधान मंत्री महोदय द्वारा की गई।
इसी तारतम्य में देश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने भी उद्योग जगत के विभिन्न दिगज्जों एवं बैंकों के उच्च-अधिकारियों से चर्चा करने के उपरांत अर्थव्यवस्था को डोज़ देने के उद्देश्य से दिनांक 23 अगस्त 2019 को कई रियायतों/उपायों की घोषणा की।
पूँजी बाज़ार में निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लम्बी एवं छोटी अवधि के पूँजीगत लाभ कर पर बजट 2019-20 में बढ़ाए गए अधिभार एवं स्टार्ट-अप एवं उसके निवेशकों पर लागू किए जा रहे एंजल कर सम्बंधी प्रावधानों को वापिस ले लिया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा सरकारी क्षेत्र के बैंकों को रुपए 70,000 करोड़ तुरंत जारी किए जा रहे हैं। इससे इन बैंकों की तरलता में सुधार होगा और ये बैंक रुपए 5 लाख करोड़ तक की राशि का नया ऋण प्रदान कर सकेंगे। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों, छोटे व्यापारियों, खुदरा उधारकर्ता एवं कम्पनियों को लाभ होगा। लम्बी अवधि के लिए ऋण के प्रवाह को बढ़ाने के उद्देश्य से एक नई संस्था का गठन किया जाएगा। जिससे आधारभूत संरचना एवं गृह निर्माण क्षेत्र को लाभ होगा। साथ ही, भारतीय कम्पनियों द्वारा विश्व बाज़ार से ऋण उगाहने सम्बंधी नियमों को आसान बनाया जा रहा है। ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की तरलता की स्थिति में और सुधार लाने के उद्देश्य से गृह ऋण कम्पनियों को राष्ट्रीय गृह बैंक द्वारा रुपए 20,000 करोड़ की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई जा रही है।
हालाँकि ब्याज दरों में कमी लगातार जारी है। बैंकों द्वारा रेपो दर के आधार पर ब्याज दरों में और अधिक कमी की जाएगी। इससे गृह ऋण, कार ऋण, शिक्षा ऋण, व्यक्तिगत ऋण, आदि की ईएमआइ में कमी आएगी। साथ ही, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों एवं छोटे व्यापारियों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध हो सकेगा। ग्राहकों को ऋण प्रस्तावों को आनलाइन ट्रैकिंग की सुविधा भी बैंकों द्वारा दी जाएगी।
प्रधान मंत्री महोदय द्वारा यह लगातार कहा जा रहा है की धन अर्जित करने वाले व्यक्तियों/कम्पनियों का सम्मान होना चाहिए। इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए कम्पनियों के सामाजिक दायित्व सम्बंधी नियमों के पालन नहीं किए जाने को अब दाडिक अपराध की श्रेणी में न मानकर नागरिक दायित्व की श्रेणी में रखा जाएगा। आयकर सम्बंधी समस्त नोटिस को दिनांक 01.10.2019 से केंद्रीयकृत कम्प्यूटर द्वारा जारी किया जाएगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों को वस्तु एवं सेवा कर के वापसी की स्थिति में कर की अदायगी 60 दिनों के अंदर कर दी जाएगी। साथ ही, अभी तक बक़ाया समस्त मामलों का निपटान भी अगले 30 दिनों के अंदर कर दिया जाएगा।
आटोमोबाइल क्षेत्र की वृधि दर में आई कमी को दूर करने के उद्देश्य से भी कुछ उपायों की घोषणा की गई है। यथा, बीएस-4 आधारित वाहनों को 31.03.2020 तक ख़रीदा जा सकेगा जिसकी वैद्यता उनके पंजीकरण की अवधि तक लागू रहेगी। 31.03.2020 तक ख़रीदे गए समस्त वाहनों के लिए लागू मूल्यह्रास की दर को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया जा रहा है। विद्युत वाहनों के लिए आधारभूत संरचना का विकास किए जाने पर सरकार का ध्यान रहेगा एवं इसके लिए बैटरी एवं सहायक उत्पादों का भारत में ही उत्पादन कर निर्यात किए जाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। पुराने वाहनों के स्थान पर नए वाहनों के ख़रीदने सम्बंधी प्रतिबंधों को हटाया जा रहा है।
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने यह भी घोषणा की है की देश में आर्थिक विकास की दर को तेज़ करने के उद्देश्य से इस तरह की और भी कई रियायतों/उपायों की घोषणा की जाती रहेगी।
2 Comments
The excellent.
ReplyDeleteVery good
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