एमएसएमई की ओर केंद्र सरकार दे रही विशेष ध्यान
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) देश की अर्थव्यवस्था के विकास में एक अहम भूमिका अदा करता है। एमएसएमई क्षेत्र की देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत, औद्योगिक उत्पादन में 45 प्रतिशत और निर्यात में 48.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। कृषि क्षेत्र के बाद, एमएसएमई क्षेत्र में रोज़गार के सबसे अधिक अवसर निर्मित होते हैं। 73वें राष्ट्रीय सैम्पल सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 6.34 करोड़ इकाईयाँ एमएसएमई क्षेत्र में कार्यरत थीं, ज़िनके माध्यम से 11.1 करोड़ व्यक्तियों (4.98 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में एवं 6.12 करोड़ शहरी क्षेत्रों में) को रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा था। इस क्षेत्र को देश की अर्थव्यवस्था के लिए “विकास का इंजन” कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
पारम्परिक रूप से इस क्षेत्र की कुछ समस्याएँ रहीं हैं। यथा, एमएसएमई क्षेत्र में कार्यरत इकाईयों को कार्यशील पूँजी का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होना। ऋण पर ब्याज की दर अधिक होना। इन इकाईयों द्वारा प्रदत्त उधारी की वसूली समय पर न होना, जिससे इन इकाईयों के लिए तरलता की समस्या उत्पन्न होना। इन इकाईयों का आकार छोटा होने के कारण, इनके पूँजी बाज़ार से पूँजी की उगाही नहीं कर पाना। इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं की लागत तुलनात्मक रूप से अधिक होने के कारण इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं का मार्केट में, प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पाना। उक्त विभिन्न समस्यायों का निदान समय पर न होने के कारण, इन इकाईयों की मर्त्यु भी जल्दी ही हो जाती है।
परंतु, वर्तमान में केंद्र सरकार का ध्यान एमएसएमई इकाईयों की उक्त वर्णित समस्याओं के हल करने की ओर गया है एवं केंद्र सरकार द्वारा इन इकाईयों की विभिन्न समस्याओं के हल हेतु तथा इनके विकास की गति तेज़ करने के उद्देश्य से कई उपायों की घोषणा की गई है। केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गड़करी की अगुवाई वाले मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक लाख से अधिक नई एमएसएमई इकाईयों के पंजीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही, वर्ष 2019-20 के लिए, केंद्र सरकार ने अपने उपक्रमों के लिए, रुपए 50,000 करोड़ के उत्पादों की ख़रीदी एमएसएमई इकाईओं से करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार के उपक्रम अपनी कुल ख़रीदी का न्यूनतम 25 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई इकाईओं से ख़रीदेंगे। सरकार के इस निर्णय से एमएसएमई इकाईयों को बहुत अधिक लाभ होगा, क्योंकि इन इकाईयों द्वारा उत्पादित वस्तुओं का विक्रय आसानी से हो सकेगा।
एमएसएमई इकाईयों की तरलता की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से, वित्त मंत्री महोदया ने हाल ही में घोषणा की है की वस्तु एवं सेवा कर से सम्बंधित इन इकाईयों के बक़ाया समस्त मामलों का निपटान आगामी 30 दिनों के अंदर कर दिया जाएगा एवं इन इकाईयों को कर वापसी के अन्य मामलों की स्थिति में, इन इकाईयों को कर की वापसी भी आगामी 60 दिनों के अंदर कर दी जाएगी। उक्त उपायों की घोषणा के साथ ही, केंद्र सरकार, सरकारी क्षेत्र के बैंकों को रुपए 70,000 करोड़ की राशि तुरंत जारी कर रही है। इससे इन बैंकों की तरलता में सुधार होगा और ये बैंक, रुपए 5 लाख करोड़ तक की राशि का नया ऋण प्रदान कर सकेंगे। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों को भी लाभ होगा।
प्रधानमंत्री रोज़गार सर्जन योजना के अन्तर्गत भी वर्ष 2018-19 में लगभग 75000 नई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों का पंजीकरण किया गया है जबकि वर्ष 2017-18 में केवल 48398 इकाईयों का ही पंजीकरण किया जा सका था। इन इकाईयों के माध्यम से वर्ष 2018-19 में 570,000 नए रोज़गार के अवसर निर्मित किए गए जो पिछले वर्ष निर्मित किए गए 387,000 रोज़गार के अवसरों की तुलना में काफ़ी अधिक है। प्रधानमंत्री रोज़गार सर्जन योजना के अन्तर्गत स्थापित की जा रही इन छोटी छोटी इकाईयों के तेज़ी से विकास करने के कारण इन इकाईयों में रोज़गार के नए अवसरों में लगातार वृद्धि होगी क्योंकि ये मुख्यत ग्रामीण इलाक़ों में स्थापित की जा रही हैं एवं इन इलाक़ों में इनके विकास की अपार सम्भावनाए मौजूद हैं। एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, एक सूक्ष्म इकाई स्थापित करने हेतु औसतन रुपए 96,000 का निवेश करना होता है एवं यह इकाई औसतन 7.62 व्यक्तियों के लिए रोज़गार के अवसर निर्मित करती है। ग़ैर-कृषि आधारित क्षेत्र में एक विनिर्माण सूक्ष्म इकाई स्थापित करने हेतु प्रधानमंत्री रोज़गार सर्जन योजना के अन्तर्गत रुपए 25 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
एमएसएमई क्षेत्र में इकाईयों के तेज़ी से विकास हेतु इनकी स्थापना, एक ही स्थान पर, समूहों के रूप में की जानी चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा इसलिए यह भी प्रयास किया जा रहा है की वर्ष 2019-20 के दौरान देश में 400 नए समूहों की स्थापना की जाए जहाँ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों की स्थापना आसानी से की जा सके। इन समूहों में, विनिर्माण एवं सेवा, दोनों क्षेत्रों की इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा। पिछले वर्ष 2018-19 के दौरान, केवल 98 समूहों की स्थापना ही की जा सकी थी।
एमएसएमई क्षेत्र में स्थापित की जा रही इकाईयों को विभिन्न बैंकों द्वारा ऋण प्रदान करने की गतिविधि को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एमएसएमई क्षेत्र में इकाईयों को प्रदान किए जा रहे ऋण की गारंटी भी केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। इसके लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फ़ोर एमएसई योजना (सीजीटीएमएसई) भी चलाई जा रही है। इसके लिए रुपए 50,000 करोड़ का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए किया गया है। यह प्रावधान वर्ष 2018-19 में रुपए 30,000 करोड़ का था एवं 2017-18 में रुपए 19,000 करोड़ का था। इस प्रकार, अंत में यह कहा जा सकता है की भारत में बैंकों के लिए एमएसएमई क्षेत्र में इकाईयों को ऋण प्रदान करने की अपार सम्भवनाएँ मौजूद हैं।
1 Comments
Well orchestrated and fantastic
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