विदेशी निवेशकों के लिए बहुत कुछ है भारत में 


दिनांक 25 सितम्बर 2019 को न्यूयॉर्क में ब्लूम्बर्ग वैश्विक व्यापार फ़ोरम 2019 में भारत के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण पर आधारित। 

माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने अपने भाषण को शुरू करते हुए कहा कि भारत की भावनाओं और अपेक्षाओं पर और भारत की सम्भावनाओं और उम्मीदों पर भारत की विकास की कहानी और भारत के भविष्य की राह पर अपनी बात रखने के लिए आपने अवसर दिया। विकास ही आज भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। आज भारत की जनता उस सरकार के साथ खड़ी है जो व्यवसाय का माहौल सुधारने के लिए बड़े से बड़े और कढ़े से कढ़े फ़ैसले लेने में पीछे नहीं रहती है। आज भारत में एक ऐसी सरकार है जो  व्यापार जगत का सम्मान करती है संपती निर्माण का सम्मान करती है। अभी कुछ दिन पहले ही भारत में कारपोरेट कर में भारी कमी की गई है। निवेश के प्रोत्साहन के लिए यह एक बहुत क्रांतिकारी क़दम है और इस फ़ैसले के बाद विश्व व्यापार जगत के सभी धुरंधर भारत के इस फ़ैसले को एक एतिहासिक क़दम मान रहे हैं। इसके अलावा भी भारत सरकार द्वारा देश में व्यापार को आसान बनाने के लिए कई फ़ैसले लिए हैं, जैसे अभी हाल ही में 50 से ज़्यादा ऐसे क़ानूनों को समाप्त कर दिया गया है जो विकास के कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। यह तो शुरुआत भर है, अभी लम्बा समय आगे बाक़ी हैं। इस सफ़र में भारत के साथ साझेदारी करने के लिए ये विश्व के पूरे व्यापार जगत के लिए एक सुनहरा मौक़ा है। 

माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने का आमंत्रण देते हुए कहा कि आज भारत एक अद्वितीय स्थिति में आकर खड़ा हो गया है। देश में तेज़ गति से विकास हो रहा है, ग़रीबी में कमी आ रही है, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ रही है जिससे विभिन्न वस्तुओं की माँग में वृद्धि दृष्टिगोचर है। अतः यदि आपको बड़े पैमाने पर व्यापार करना है तो भारत में निवेश करें क्योंकि भारत में मध्यम वर्ग की संख्या तेज़ गति से बढ़ रही है, इस मध्यम वर्ग के पास वैश्विक सोच है। इस वर्ग को नए नए नवोन्मेश उत्पाद अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। अतः देश में इस तरह के उत्पादों का एक बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है। देश में युवा वर्ग आजकल ऐप अर्थव्यवस्था का बहुत बड़े स्तर पर उपयोग करने लगा है। फिर चाहे, वह खाद्य पदार्थ या परिवहन का क्षेत्र हो, या फिर सिनेमा के टिकट ख़रीदने या स्थानीय स्तर पर सामान के वितरण का क्षेत्र हो, इन सभी क्षेत्रों में ऐप की माँग तेज़ी से बढ़ रही है। अतः, यदि आपको स्टार्ट-अप के क्षेत्र में निवेश करना है तो भारत में आईए।    

भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। देश में तेज़ गति से चालित परिवहन व्यवस्था विकसित करने के लिए नए नए राजमार्गों का निर्माण किया जा रहा। बड़े बड़े शहरों में मेट्रो रेल्वे का जाल बिछाया जा रहा है। बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों को आधुनिक बनाया जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों में भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है।भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास पर आज जितना निवेश भारत सरकार कर रही है उतना निवेश देश में पहिले कभी नहीं किया गया। देश में आगे आने वाले कुछ वर्षों में 100 लाख करोड़ रुपए यानी लगभग 1.3 ट्रिल्यन अमेरिकी डॉलर का ख़र्च आधुनिक बुनियादी ढाँचे को खड़ा करने पर किया जाएगा। अतः यदि आप भी बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु निवेश करना चाहते हैं तो भारत में इसके लिए बहुत बड़ा क्षेत्र उपलब्ध है। देश में शहरीकरण भी तेज़ गति से हो रहा है। शहरों का न केवल विस्तारीकरण हो रहा है ब्लिक़ नागरिकों को नई तकनीकी के साथ अति-आधुनिक सुविधाएँ भी उपलब्ध करायी जा रही हैं। शहरों में नया आधारभूत ढाँचा खड़ा किया जा रहा है। यदि आपको इस क्षेत्र में निवेश करने की चाह है तो भारत आईए, बहुत बढ़ा क्षेत्र उपलब्ध है। 

भारत ने अपना रक्षा क्षेत्र भी निवेश के खोल दिया है। रक्षा के क्षेत्र में भारत में स्वयं के लिए ही रक्षा उपकरणों की बहुत बड़ी माँग है। अतः यदि आप रक्षा उपकरणों का उत्पादन करना चाहते हैं तो भारत आईए। न केवल भारत के लिए उत्पादन करें ब्लिक़ वहाँ से निर्यात भी आसानी से कर सकते हैं। देश में ग़रीबों एवं मध्यम वर्ग के लिए लाखों की संख्या में घरों का निर्माण किया जा रहा है। यह विश्व में, घरों के निर्माण की अपने आप में शायद सबसे बड़ी परियोजना होगी। अतः यदि आप रीऐलिटी क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत आईए।    

इसके अलावा भारत के सामाजिक बुनियादी ढाँचे पर भी लाखों करोड़ रुपए ख़र्च किए जा रहे हैं। भारत के विकास की कहानी में अब गुणात्मक एवं परिमाणात्मक दोनों ही स्थितियों में छलाँग लगाने को तैयार है। अब भारत ने अपने विकास के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय कर लिया है। वर्ष 2024-25 तक देश को 5 ट्रिल्यन अमेरिकी डॉलर की अर्थ व्यवस्था बनाने का। जब 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आई थी, तो देश अर्थव्यवस्था क़रीब-क़रीब 2 ट्रिल्यन अमेरिकी डॉलर की थी। पिछले पाँच साल के दौरान लगभग 1 ट्रिल्यन अमेरिकी  डॉलर अर्थव्यवस्था में जोड़ा गया है और अब देश चाहता है की इसे 5 ट्रिल्यन अमेरिकी डॉलर का बनाया जाय। इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश के पास योग्यता भी है, साहस भी है और परिस्थितियाँ भी अनुकूल हैं। भारत के विकास की कहानी में आज चार अहम कारक हैं जो अपने आप में एक दुर्लभ मेल है। यथा, जनतंत्र (डिमॉक्रेसी), जनसांख्यिकी (डिमॉग्रफ़ी), माँग (डिमांड) एवं निर्णायकता (डिसाईसिवनेस)। 

भारत में कई दशकों के बाद मज़बूत राजनैतिक स्थिरता आई है। जब देश में मज़बूत जनतंत्र हो, राजनैतिक स्थिरता हो, नीतियां उम्मीद के अनुसार बनायीं जा रही हों और    न्यायतंत्र स्वतंत्र हो तो निवेश की सुरक्षा एवं निवेश की वृद्धि का भरोसा अपने आप बन जाता है। भारत के जनसांख्यिकी लाभ से युवाओं के उत्साहित पूल से भारत आज दुनिया के सबसे अधिक इंजिनीयर्स देश में बना रहा है एवं देश आज सबसे मज़बूत अनुसंधान एवं विकास की सुविधाओं वाले देशों में से एक है। नवोन्मेश के लिए जो प्रोत्साहन भारत के युवाओं को मिल रहा है उसके कारण अमेरिका एवं चीन के बाद आज भारत स्टार्ट अप के विकास के मामले में सबसे तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है।

तीसरा, माँग में वृद्धि भी एक कारक है। देश में जैसे जैसे आबादी आर्थिक रूप से सक्षम होती जा रही है, इस वर्ग की क्रय शक्ति भी बढ़ती जा रही है, जो उत्पादों की माँग में वृद्धि में सहायक हो रही है। उदाहरण के लिए पिछले कुछ वर्षों से देश में हवाई यात्रियों की ट्रैफ़िक की ग्रोथ दहाई आँकड़ों में बनी हुई है, जिसके चलते आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाज़ार बन चुका है। 

जनतंत्र, जनसांख्यिकी एवं माँग के साथ ही आज जो बात भारत को विशेष बनाती है वो है निर्णायकता। एक विविध संघीय जनतंत्र होने के बावजूद बीते 5 वर्षों में पूरे भारत के लिए सीमलेस समिल्लित एवं पारदर्शी व्यवस्थाएँ तैयार करने पर बल दिया गया है। जहाँ पहिले भारत में अप्रत्यक्ष कर ढाँचे का एक बहुत बड़ा जाल फैला हुआ था, वहीं अब जीएसटी के रूप में केवल एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली पूरे देश के व्यापार संस्कृति का एक हिस्सा बन चुकी है। इसी तरह ही दिवालियापन की समस्या से निपटने के लिए इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरपटसी कोड बनाया गया है, जिससे बैकों को चूककर्ता बकायादारों से निपटने में आसानी हो गई है। कर प्रणाली से जुड़े क़ानूनों और ईक्विटी निवेश पर कर को वैश्विक कर प्रणाली के बराबर लाने के लिए देश में ज़रूरी सुधार निरंतर हो रहे हैं। कर प्रणाली में सुधार के अलावा देश में दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशी योजना को भी बहुत कम समय लागू कर लिया गया है। क़रीब 37 करोड़ लोगों को बीते 4-5 सालों में बैंकों से पहली बार जोड़ा गया है। आज भारत के क़रीब क़रीब हर नागरिक के पास यूनिक आईडी है, मोबाइल फ़ोन है, बैंक अकाउंट है, जिसके कारण लक्षयित सेवाओं को प्रदान करने में तेज़ी आई है। धनराशि का रिसाव बंद हुआ है और पारदर्शिता कई गुना बड़ी है। नए भारत में अविनियमन, डीरेग्युलेशन और व्यापार में परेशनियाँ ख़त्म करने की मुहिम चलाई गई है। इसी प्रकार आर्थिक सुधारों के लागू करने के कारण ही देश वैश्विक रैंकिंग  में आगे बढ़ता जा रहा है। आप सभी ये भी भली भाँति जानते हैं कि ये रैंकिंग अपने आप नहीं सुधरती है। भारत ने बिलकुल ज़मीनी स्तर पर जाकर व्यवस्थाओं में सुधार किया है। नियमों को आसान बनाया है। उदाहरण के तौर पर यह बताया जा सकता है कि देश में पहिले बिजली कनेक्शन लेने के लिए उद्योगों को कई महीनों का समय लग जाता था।  परंतु अब कुछ दिनों के भीतर बिजली कनेक्शन मिलने लगा है। इसी तरह कम्पनी के रेजिस्ट्रेशन के लिए पहिले कई हफ़्तों का समय लग जाता था। परंतु अब कुछ ही घंटो में कम्पनी का रेजिस्ट्रेशन हो जाता है। बीते 5 सालों में भारत में 286 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है। ये बीते 20 साल में भारत में हुए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का आधा है। अमेरिका ने भी जितना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में बीते दशकों में भारत में किया है उसका 50 प्रतिशत सिर्फ़ पिछले चार सालों के दौरान हुआ है। और ये निवेश तब हुआ है जब पूरी दुनिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्तर लगातार कम हो रहा है। आज विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा बढ़ा है और वो लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं। ब्लूम्बर्ग की एक रिपोर्ट में भी भारत में आ रहे बदलाव की तस्वीर पेश की गई है। ब्लूम्बर्ग के नेशन ब्राण्ड 2018 सर्वे में भारत को निवेश के लिहाज़ से पूरे एशिया में पहिला नम्बर दिया गया है। 10 में से 7 संकेतकों - राजनैतिक स्थिरता,  मुद्रा स्थिरता, उच्च गुणवत्ता के उत्पाद, भ्रष्टाचार विरोधी माहौल, उत्पादों की कम लागत, सामरिक स्थिति और आईपीआरआई के प्रति आदर की भावना - इन सभी में भारत नम्बर एक रहा है। बाक़ी संकेतकों में भी भारत की स्थिति काफ़ी ऊपर रही है। 

विदेशी निवेशकों की आकांक्षा एवं भारत का स्वपन एक ही है। विदेशी निवेशकों की तकनीकी एवं भारत की प्रतिभा मिलकर पूरे विश्व को बदल सकते हैं। विदेशी निवेशकों का पैमाना एवं भारत की दक्षता मिलकर वैश्विक आर्थिक विकास दर को तेज़ कर सकते हैं। विदेशी निवेशकों का विवेकी तरीक़ा एवं भारत का व्यावहारिक ज्ञान प्रबंधन के क्षेत्र में नई कहानियाँ गढ़ सकते हैं। विदेशी निवेशकों के तर्क आधारित मार्ग एवं भारत के मानव मूल्य मिलकर एक ऐसा रास्ता खोज सकते हैं जो पूरा विश्व आज चाहता है।