देश के आर्थिक विकास में सुधार के दिखने लगे संकेत
केंद्र सरकार ने पिछले 5 माह के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर तेज़ करने के उद्देश्य से कई उपायों की घोषणा की है। केंद्र सरकार के आर्थिक विकास सम्बंधी इन उपायों का असर होने लगा है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत अब दिखने लगे हैं। हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि देश में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत किए गए नए ऋणों वाली विभिन कम्पनियों की परियोजना लागत में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है। साथ ही, विभिन कम्पनियों द्वारा किए जा रहे स्थिर संपतियों में निवेश की राशि में भी भारी वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है।
कम्पनियों के निवेश में वृद्धि
बैकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत विभिन्न कम्पनियों की परियोजनाओं की लागत जो वर्ष 2018-19 के चतुर्थ तिमाही में रुपए 37,000 करोड़ की थी वह वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही में बढ़कर रुपए 46,000 करोड़ एवं द्वितीय तिमाही में और आगे बढ़कर रुपए 80,000 करोड़ की हो गई। यह बढ़ोतरी हवाई अड्डा परियोजनाओं, बिजली क्षेत्र परियोजनाओं, गैस वितरण परियोजनाओं, मेट्रो परियोजनाओं सम्बंधी रुपए 5000 करोड़ से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं में विशेष रूप से पाई गई है।
साथ ही, 30 सितम्बर 2019 को समाप्त प्रथम अर्धवार्षिक अवधि के दौरान विनिर्माण क्षेत्र की 1500 कम्पनियों के निष्पादन की जब पिछले वर्ष के इसी अवधि के दौरान के निष्पादन से तुलना की गई तो भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह पाया है कि इन कम्पनियों की स्थिर संपतियों में निवेश, जिसमें वर्तमान में चालू परियोजनाएँ भी शामिल हैं, इन कम्पनियों के पास उपलब्ध निधियों का 45.6 प्रतिशत हो गया है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में मात्र 18.9 प्रतिशत था।
रियल एस्टेट सेक्टर में भी निवेश में वृद्धि सम्बंधी अच्छी खबर आई है। कैलेंडर वर्ष 2019 में रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश लगभग 9 प्रतिशत बढ़कर रुपए 43,780 करोड़ का हो गया है। ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म कोलियर्स के अनुसार, रियल एस्टेट सेक्टर में हुए कुल निवेश में 46 प्रतिशत यानी रुपए 19,900 करोड़ की हिस्सेदारी ऑफिस प्रॉपर्टी में किए गए निवेश की रही है। एक अनुमान के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2020 में ऑफिस प्रॉपर्टी की माँग में, विशेष रूप से आईटी सेक्टर के माध्यम से, और भी तेजी आने की सम्भावना है। फर्म ने उम्मीद जताई है कि निवेशक आगामी सालों तक कॉमर्शियल ऑफिस प्रॉपर्टी खरीदने में ज्यादा रुचि दिखायेंगे, क्योंकि कॉमर्शियल ऑफिस प्रॉपर्टी के किराये में आगामी सालों में बढ़ोतरी का अनुमान है।
बैकों के ऋणों में वृद्धि
ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की संपतियों में भी 13 प्रतिशत की वृद्धि सितम्बर 2018 से सितम्बर 2019 के बीच दृष्टिगोचर हुई है जो रुपए 28.3 लाख करोड़ से बढ़कर रुपए 32 लाख करोड़ तक पहुँच गई है। साथ ही, इन कम्पनियों को प्रदत्त बैंक ऋण की राशि में भी इसी अवधि के दौरान 26.57 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज हुई है।
आईसीआईसीआई बैंक-क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट, “माइनिंग द गोल्ड अपॉर्चुनिटी इन रिटेल लोन” में भी बताया गया है कि धीरे-धीरे गृह ऋण, कार ऋण, एवं पर्सनल ऋण लेने की रफ्तार में वृद्धि हो रही है और मार्च 2024 तक बैंकों और वित्तीय कंपनियों के खुदरा ऋण दोगुना हो जाने की सम्भावना है। एक अनुमान के मुताबिक यह ऋण बढ़कर रुपए 96 लाख करोड़ के हो जाएँगे जो कि मार्च 2019 तक रुपए 48 लाख करोड़ के थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस वृद्धि में अंतिम निजी उपभोग की अहम भूमिका होगी, जिसमें गृह ऋण, कार ऋण, कंज्यूमर ऋण एवं क्रेडिट कार्ड आदि ऋणों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। क्योंकि, ऋण लेने में उपभोक्ताओं की दिलचस्पी, ग्राहकों के उपलब्ध आँकड़े, इनके विश्लेषण में सुधार एवं विश्लेषण के परिणाम को अमल में लाने में आसानी, आर्थिक सुस्ती दूर करने के लिये सरकार द्वारा उठाये जा रहे सुधारात्मक कदम आदि से खुदरा ऋण की वृद्धि में तेजी आ रही है। वर्तमान में, सरकार गृह ऋण और कुटीर व छोटे उद्योगों को ऋण आसानी से एवं सस्ती ब्याज दरों पर उपलब्ध कराने पर ज़ोर दे रही है।
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि
दिनांक 13 दिसम्बर 2019 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 45,449 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया। दिनांक 20 सितम्बर 2019 के बाद से लगातार 13 सप्ताह से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। दिनांक 14 दिसम्बर 2018 को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 39,301 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर था। अर्थात, इस एक वर्ष के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 6,148 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले 13 सप्ताहों से लगातार हो रही वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है। क्योंकि, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि कई कारणों के चलते हो सकती है। जैसे, देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक बढ़ रही है, देश के विदेशी व्यापार घाटे में कमी हो रही है, देश का निर्यात बढ़ रहा है, देश का आयात कम हो रहा है, देश के पूँजी बाज़ार में विदेशी निवेश बढ़ रहा है, विदेश में रह रहे भारतीयों द्वारा देश में किए जा रहे विदेशी मुद्रा में प्रेषण की राशि बढ़ रही है, आदि। उक्त वर्णित समस्त कारकों को देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत के तौर पर माना जा सकता है।
देश के शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेश की राशि वर्ष 2019 में दिनांक 20 दिसम्बर 2019 तक 1,899 करोड़ अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा छू चुकी है और यह निवेश की राशि लगातार आगे बढ़ रही है। देश के शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेश के बढ़ने से शेयर बाज़ार भी अब लगातार नई ऊँचाईयों को छू रहा है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेन्सेक्स 41,000 के आँकड़े को पार करते हुए दिनांक 20 दिसम्बर 2019 को 41,682 के रिकार्ड स्तर पर पहुँच गया। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी भी 12,200 के स्तर को पार करते हुए दिनांक 20 दिसम्बर 2019 को 12,272 के रिकार्ड स्तर पर बंद हुआ। उक्त वर्णित सभी कारणों के चलते देश में तरलता की स्थिति में काफ़ी सुधार देखने में आ रहा है। दिनांक 20 दिसम्बर 2019 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने तरलता समायोजन सुविधा के माध्यम से रुपए 1,65,300 करोड़ की तरलता को अवशोषित किया।
बैंकों की ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों में कमी
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, बैंकों की ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों में भी अब कमी देखने में आ रही है। 31 मार्च 2018 को समाप्त वर्ष के अंत में बैंकों की सकल ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियाँ इन बैंकों के कुल ऋणों का 11.2 प्रतिशत थीं, जो 31 मार्च 2019 को घटकर 9.1 प्रतिशत हो गई एवं 30 सितम्बर 2019 को भी 9.1 प्रतिशत पर स्थिर रहीं। यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि बैंकों की ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों में लगातार 7 वर्षों से वृद्धि हो रही थी। इसी प्रकार बैकों की शुद्ध ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियाँ भी मार्च 2018 में 6 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2019 में घटकर 3.7 प्रतिशत हो गईं।
रोज़गार के अवसरों में वृद्धि
देश में रोज़गार के अवसरों में भी वृद्धि देखने में आ रही है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम में दर्ज हुए पे-रोल सम्बंधी आँकड़ों के अनुसार, देश में अक्टोबर 2019 माह में 12.44 लाख रोज़गार के अवसर पैदा हुए। जबकि, माह सितम्बर 2019 में 12.23 लाख रोज़गार के अवसर पैदा हुए थे। उक्त आँकड़ों के अनुसार ही वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश में 1.49 करोड़ रोज़गार के अवसर पैदा हुए थे तथा सितम्बर 2017 से अक्टोबर 2019 के दौरान 3.22 करोड़ रोज़गार के अवसर पैदा हुए थे।
यह भी खबर है कि देश का सूचना एवं प्रोद्योगिकी क्षेत्र वित्त वर्ष 2020-21 में पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले 10 प्रतिशत ज्यादा भर्तियां करेगा। तकनीक क्षेत्र में प्रारंभिक स्तर पर की जारी रही भर्तियों की प्रवृति का विश्लेषण करने से इस बात का खुलासा हुआ है। चालू वित्त वर्ष में 177 अरब डॉलर के सूचना प्रद्योगिकी और कारोबारी प्रबंधन क्षेत्र ने 1.8 लाख लोगों को रोजगार दिया है। एक अनुमान के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष में यह क्षेत्र लगभग 2 लाख इंजीनियरों को रोजगार देगा। बेंगलुरु में कर्मचारियों की भर्ती करने वाली एजेंसी एक्सफेनो के अनुसार आने वाले वर्षों मे देश में कर्मचारियों की भर्तियों में वृद्धि जारी रहेगी और इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 1 से 5 साल के अनुभव वाले लोगों की होगी और इसमें सबसे ज्यादा योगदान बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत स्थित प्रोद्योगिकी इकाईयों का रहेगा। एक्सफेनो के मुताबिक विगत 8 से 12 महीनों में लगभग 30 टेक सेवा प्रदाता कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार शुरू किया है। देश की शीर्ष 5 आईटी कंपनियों जैसे, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस, इंफोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजी, विप्रो और टेक महिंद्रा की तरफ से वित्त वर्ष 2021 में कुल भर्तियों में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रहने की संभावना है। इन कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष में सितंबर 2019 तक के 6 महीनों के दौरान 64,432 कर्मचारियों की भर्ती की है। पिछले साल इसी अवधि में इन कंपनियों ने 54,642 लोगों को रोजगार दिया था। ये कंपनियां कॉलेज कैंपस से इंजीनियर स्नातकों का चयन नौकरी देने के लिये कर रही हैं।
अंत में यह कहा जा सकता है कि विभिन्न क्षेत्रों में कम्पनियों एवं रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश का बढ़ना, ऋणों की राशि में वृद्धि होना, खुदरा ऋण बाजार में तेजी आना, बैकों की ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों के प्रतिशत में कमी आना, विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि होना, रोजगार सृजन में वृद्धि होने की संभावनाओं में इजाफा होना आदि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के संकेत हैं। इससे जरूर पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने लगी है। भले ही अभी इसकी रफ्तार बहुत तेज नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि शीघ्र ही देश का आर्थिक विकास रफ़्तार भी पकड़ लेगा।
3 Comments
Economic scenario exemplary analysis
ReplyDeleteSir,your statical and economical analysis for the Banking industry is wonderful.
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