कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश की आवश्यकता अधिक 


केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद अब समय है देश की जनता की आकांक्षाओं को तेज़ी से पूर्ति करने का। वित्तीय वर्ष २०१९-२० के लिए प्रस्तुत किए गए बजट के माध्यम से हाल ही के समय में देश की मंद हो रही विकास की गति को तेज़ करने का भरपूर प्रयास किया गया है ताकि रोज़गार के अधिक से अधिक अवसरों का सर्जन किया जा सके। 

देश में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहिले पाँच वर्षों के शासनकाल में देश की जनता के लिए एवं देश के विकास के लिए कई निर्णय लिए थे एवं देश के विकास की गति को तेज़ करने का भरपूर प्रयास किया था। इस सम्बन्ध में कुछ मुख्य उपलब्धियों का वर्णन नीचे किया जा रहा है।

(1) भारतवर्ष विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और शीघ्र ही विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर हो रहा है। 

(2) चीनी उत्पादन में भारतवर्ष विश्व में पहिले पायदान पर पहुँच गया है। 

(3) स्टील उत्पादन, मोबाइल उत्पादन एवं टेक्स्टायल उत्पादन में भारतवर्ष विश्व में दूसरे नम्बर पर आ गया है। 

(4) बिजली उत्पादन में भारतवर्ष विश्व में तीसरे स्थान पर पहुँच गया है। 

(5) ऑटो मार्केट में भारतवर्ष विश्व में चौथे स्थान पर पहुँच गया है।

(6) विश्व बैंक द्वारा व्यापार में सुगमता के मापदंड पर विश्व के समस्त देशों की रैंकिंग सूची जारी की जाती है। भारत की रैंकिंग इस मापदंड पर वर्ष 2014 में 142वें स्थान पर थी जो वर्ष 2018 में सुधर कर 77वें स्थान पर हो गयी है। और, अब भारतवर्ष 50वें स्थान के अंदर आने का भरपूर प्रयास कर रहा है। 

(7) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ गति से उभरती अर्थव्यवस्था है और भारत ने पिछले तीन साल में बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में सबसे कम क़र्ज़ लिया है।

(8) वर्ष 2014 में देश के 70 प्रतिशत  ग्रामीण इलाक़ों में बिजली उपलब्ध थी जो 2018 में देश के 95 प्रतिशत ग्रामीण इलाक़ों में उपलब्ध हो गई। 

(9) वर्ष 1947 में देश में केवल 21,000 किलो मीटर का नैशनल हाइवे उपलब्ध था, जो 67 साल बाद वर्ष 2014 में बढ़कर मात्र 92,851 किलो मीटर का ही हो पाया था। जब कि, अगले 4 सालों यानी वर्ष 2018 में बढ़कर 120,000 किलो मीटर से अधिक हो गया है। 

(10) वर्ष 2014 तक देश में 13 करोड़ गैस कनेक्शन थे अर्थात 55 प्रतिशत घरों को गैस कनेक्शन मिल पाया था और अब 2019 तक 25 करोड़ गैस कनेक्शन हो गए हैं अर्थात देश के 90 प्रतिशत घरों को गैस कनेक्शन उपलब्ध हो गया है। 

(11) वर्ष 2014 में देश के 38 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय उपलब्ध थे जो वर्ष 2018 में बढ़कर 91 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध हो गए हैं। 

(12) वर्ष 2013-14 में देश में सिर्फ़ 3.8 करोड़ लोगों ने आय कर रिटर्न जमा किया था। जबकि वर्ष 2017-18 में 6.86 करोड़ लोगों ने आय कर रिटर्न जमा किया, जो 80% ज़्यादा है।    

(13) देश में जन धन योजना के अंतर्गत अब तक 32 करोड़ से अधिक ग़रीब लोगों के बैंक में जमा खाते खुल चुके हैं। एक माह में 18 करोड़ जमा खाते खुलने का भी एक विश्व रेकार्ड भारत के नाम पर दर्ज़ हो गया है। 

(14) मार्च 2019 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2018-19 में, देश में प्रति व्यक्ति आय रुपए 10534 प्रति माह (रुपए 126,406 प्रति वर्ष) हो गयी है। 


भारत वर्ष आज भी गाँवों में ही बसता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि देश की लगभग ६० प्रतिशत आबादी गाँवों में ही निवास करती है। इसलिए देश के बजट में भी सबसे अधिक ख़र्च की व्यवस्था ग्रामीण इलाक़ों एवं कृषि विकास के लिए ही किया जाना चाहिए। रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में सृजित किए जाने का भरपूर प्रयास होना चाहिए। 

ऋण माफ़ी योजनाओं के स्थान पर कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश की राशि बढ़ाई जानी चाहिए।  निवेश के माध्यम से सम्पतियों का निर्माण होता है इससे किसानों की आय एवं उत्पादकता में वृधि होती है और अन्य उत्पादों की माँग भी बढ़ती है। एक नए सर्कल का निर्माण होता है और रोज़गार के नए अवसर भी निर्मित होते हैं। भारत के राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविंद ने भारतीय संसद में नवनिर्वाचित सांसदो को सम्बोधित करते हुए कहा है कि कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने हेतु भारत सरकार आने वाले वर्षों में 25 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगी। 

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। अब इस योजना के अंतर्गत देश के 30 करोड़ लोगों को लाने की योजना है तथा अब इस योजना के अंतर्गत रुपए 50 लाख तक का ऋण बिना किसी गारंटी के उपलब्ध कराया जाएगा। 

देश के 150,000 पोस्ट ऑफ़िस की शाखाओं को भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक के माध्यम से देश की जनता को बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराने के हेतु अधिकृत किया जा रहा है। केंद्र सरकार के इस निर्णय से विषेश रूप से देश के ग्रामीण इलाक़ों में बैंक सेवाओं का विस्तार होगा।

सीधे लाभ हस्तांतरण (डिरेक्ट बेनीफ़िट ट्रान्स्फ़र - डीबीटी) योजना का भी विस्तार किया जा रहा है। समस्त राज्य सरकारों को निवेदन किया जा रहा है की राज्य स्तर पर अधिक से अधिक योजनाएँ डीबीटी के दायरे में ले आएँ ताकि सब्सिडी की राशि सीधे ही बैंक के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में जमा की जा सके। डीबीटी योजना के लागू होने के बाद से देश ने रुपए 1.41 लाख करोड़ की राशि को ग़लत लोगों के हाथों में जाने से बचाया है। 

साथ ही, केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि देश के समस्त किसानो के खाते में रुपए 6 हज़ार प्रति वर्ष जमा किए जाएँगे, इससे केंद्र सरकार को रुपए 90,000 करोड़ का प्रावधान करना होगा। पूर्व में यह योजना केवल लघु एवं सीमांत किसानो हेतु ही लागू की गयी थी एवं पूर्व में इस मद पर रुपए 75,000 करोड़ ख़र्च होने का अनुमान था।     

देश में निजी क्षेत्र की ओर से, कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश, भी बहुत कम है। अतः सरकारी क्षेत्र के निवेश के साथ साथ, कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र से भी निवेश के बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस संबंध केंद्र सरकार द्वारा निजी क्षेत्र से कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने हेतु भी कुछ उपायों की घोषणा की जानी चाहिए।